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महंत नरेंद्र गिरि की दो टूक- जो भी दल राम मंदिर की बात करेगा, उसी को समर्थन

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के महंत नरेंद्र गिरि ने ने कहा हमें श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर चाहिए। यहां पर जो मंदिर बनाने का वादा निभाएगा, संत उसी को समर्थन देंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 01:18 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 01:36 PM (IST)
महंत नरेंद्र गिरि की दो टूक- जो भी दल राम मंदिर की बात करेगा, उसी को समर्थन
महंत नरेंद्र गिरि की दो टूक- जो भी दल राम मंदिर की बात करेगा, उसी को समर्थन

प्रयागराज (कुंभनगर),जेएनएन। हमें श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर चाहिए। यहां पर जो मंदिर बनाने का वादा निभाएगा, संत 2019 के लोकसभा चुनाव में उसी को समर्थन देंगे। किसी दल या नेता विशेष को संतों का समर्थन नहीं रहेगा।

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यह बातें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के महंत नरेंद्र गिरि ने कहीं। उन्होंने बताया कि मंदिर का मामला लटकने से संतों व हिंदुओं का धैर्य जवाब दे रहा है।

महंत ने कहा कि मंदिर का निर्माण संत ही करा सकते हैं, कोई संगठन नहीं। राजनीतिक दल स्वयं को इस मुद्दे से पीछे हटा लें तो मंदिर निर्माण का मार्ग स्वत: खुल जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि कुंभ में उन्होंने अच्छी व्यवस्था दी है। संत व श्रद्धालु उससे प्रसन्न हैं।

मदरसे व पूर्वांचल की मस्जिदें आतंकवादी बनाने का केंद्र थी, योगी सरकार ने वहां छापा मारकर बड़ी कार्रवाई कराने की हिम्मत की, जिससे आतंकी बनने में रोक लगी है। कुंभ क्षेत्र में किसी वीआइपी के आने पर श्रद्धालुओं को रोकने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि संतों की तरह श्रद्धालु भी मेला की शान हैं। अगर श्रद्धालुओं को दिक्कत हुई तो वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत करेंगे।

नागा से डरे नहीं, सम्मान करें

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि नागा संन्यासियों के प्रति लोगों की धारणा है कि वह गुस्सैल होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। सम्मान के साथ मिलने, ज्ञान की बातें करने पर नागा संन्यासी नाराज नहीं होते। वह पूरा सहयोग करते हैं। जब कोई अभद्रता करता है, तभी वह नाराज होते हैं।

राष्ट्र व धर्म भक्त हैं मोदी

महंत नरेंद्र गिरि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा की। बोले, वह राष्ट्र एवं सनातन धर्म के भक्त हैं। अपने शासनकाल में भारत का मान दुनियाभर में बढ़ाया है। ऐसे में मोदी को एक मौका और मिलना चाहिए।

संतों को बोलने नहीं देती विहिप

विश्व हिंदू परिषद की कार्यप्रणाली पर कहा कि यह संतों को साथ लेने की बात तो करते हैं, लेकिन बोलने नहीं देते। विहिप चाहती है कि संत उन्हीं की मर्जी के अनुरूप बोलें, जो कि संभव नहीं है। विहिप के चलते ही राम मंदिर का मामला उलझ गया है। वह नहीं चाहती कि मंदिर बने। 


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