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हकीकत जानने को शिक्षक भर्ती परीक्षार्थियों ने दांव पर लगा दिए 50 लाख

परीक्षा शुल्क से कई गुना अधिक धन उन्होंने रिजल्ट की हकीकत जानने के लिए मजबूरन खर्च किया है। इसके बाद भी उन्हें कॉपी देखने के लिए एक माह का इंतजार करने को कहा गया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 08:11 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 08:11 AM (IST)
हकीकत जानने को शिक्षक भर्ती परीक्षार्थियों ने दांव पर लगा दिए 50 लाख
हकीकत जानने को शिक्षक भर्ती परीक्षार्थियों ने दांव पर लगा दिए 50 लाख

इलाहाबाद (जेएनएन)। गलती परीक्षा संस्था की और उसकी बड़ी कीमत परीक्षार्थी चुका रहे हैं। सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2018 का कुछ ऐसा ही फलसफा है। परीक्षा परिणाम से सहमत न होने वाले 2500 परीक्षार्थियों ने किसी तरह से धन का प्रबंध करके 50 लाख रुपये अपनी उत्तर पुस्तिका पाने के लिए खर्च कर दिए हैं। परीक्षा शुल्क से कई गुना अधिक धन उन्होंने रिजल्ट की हकीकत जानने के लिए मजबूरन खर्च किया है। इसके बाद भी उन्हें कॉपी देखने के लिए एक माह का इंतजार करने को कहा गया है।

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परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने के लिए प्रदेश के सवा लाख अभ्यर्थियों ने दावेदारी की। इसके लिए सामान्य व पिछड़ा वर्ग के प्रति अभ्यर्थी ने 600 रुपये और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों ने 400 रुपये प्रति छात्र परीक्षा शुल्क दिया। 27 मई को इम्तिहान हुआ और 13 अगस्त को जारी रिजल्ट में महज 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो सके।

परिणाम आने के दिन ही तमाम अभ्यर्थियों ने मूल्यांकन पर सवाल खड़े किए। उस समय बताया गया कि कॉपी दोबारा जांचने का प्रावधान ही नहीं है। विरोध बढऩे पर बताया गया कि शासनादेश में प्रावधान किया गया है कि स्कैन कॉपी उसी परीक्षार्थी को मिलेगी, जो दो हजार रुपये प्रति छात्र परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव कार्यालय में डिमांड ड्राफ्ट जमा करेगा।

ये आदेश 'दैनिक जागरण के जरिए सार्वजनिक होते ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने दावेदारी शुरू की। चंद दिनों में ही सैकड़ों आवेदन जमा हुए। यही नहीं, कॉपी देखने की इतनी बड़ी धनराशि इसलिए तय की गई थी कि कम से कम अभ्यर्थी आवेदन करें लेकिन, परिणाम इस तरह का रहा कि स्कैन कॉपी लेने के लिए होड़ मच गई। यह प्रकरण शासन तक पहुंचा कि परीक्षा के मूल्यांकन पर व्यापक असंतोष है, तब सहमति बनी कि अभ्यर्थियों को स्कैन कॉपी देने के साथ ही शिकायती प्रत्यावेदन पर कॉपियों की जांच भी कराई जाए।

22 अगस्त को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने आदेश दिया कि इसके लिए अभ्यर्थी 30 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। इस मियाद में ही प्रदेश भर के करीब 2500 अभ्यर्थियों ने दावेदारी की है। यानि रिजल्ट से असहमत अभ्यर्थियों ने परीक्षा शुल्क देने के बाद परिणाम की हकीकत जानने को 50 लाख रुपये दांव पर लगा दिए हैं। उन्हें भी कॉपी एक माह तक हासिल हो सकेगी।

हाईकोर्ट के आदेश वाले प्रकरण खुले

अब तक उत्तर पुस्तिकाओं में अंकों के गोलमाल के जो मामले सामने आए हैं, वे सभी अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण लेने वाले हैं। इसके बाद सामान्य अभ्यर्थियों को कॉपी इस माह के दूसरे पखवारे से मिलना शुरू होंगी। उसके बाद और बड़े मामले सामने आ सकते हैं।  


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