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पीएम नरेन्‍द्र मोदी के आमंत्रण पर प्रयागराज पहुंची महिलाओं की सफलता की है रोचक कहानी, आप भी जानें

एनआरएलएम के जरिए समूह बनाकर उत्पादन शुरू किया तो गांव में ही आर्थिक स्थिति संभालने का विकल्प बना। बीसी सखी बनने का मौका मिला तो बैंकिंग सेवा से सीधे जुड़ गईं। इसी तरह सरकार की कई ऐसी ही योजनाओं से महिलाएं जुड़ती गईं। बेरोजगारी के श्राप से मुक्ति मिली।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 21 Dec 2021 01:10 PM (IST)Updated: Tue, 21 Dec 2021 01:10 PM (IST)
सरकारी योजनाओं से जुड़कर महिलाओं की जिंदगी ही बदल गई है। इनकी सफलता की यह है कहानी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कभी गरीबी की बेबसी से दो वक्त की रोटी का इंतजाम मुश्किल था। साल के आधे दिन कभी काम मिला तो कभी खाली बैठना पड़ा। रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में भी जाना पड़ा। बस जिद थी कि परिवार को खुद संभालना है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार की कई योजनाओं से जब जुडऩे का मौका मिला तो उनकी जिंदगी ही बदल गई।

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एनआरएलएम के जरिए समूह बनाकर उत्पादन शुरू किया तो गांव में ही आर्थिक स्थिति संभालने का विकल्प बना। बीसी सखी बनने का मौका मिला तो बैंकिंग सेवा से सीधे जुड़ गईं। इसी तरह सरकार की कई ऐसी ही योजनाओं से महिलाएं जुड़ती गईं। बेरोजगारी के श्राप से मुक्ति मिली। आमदनी का स्रोत खुला तो घर की आर्थिक स्थिति बदलने लगी। स्वावलंबन की इच्छा पूरी हुई और अपने शानदार काम के बल पर समाज में मिसाल बन गईं।

दैनिक जागरण से बातचीत में विद्युत सखी की जिम्मेदारी देख रही संजू देवी का कहना था कि देश में पहली बार प्रयाग की धरा पर सिर्फ महिलाओं के सम्मान में इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है, वह अभिभूत हैं। वह खुद तीन साल में 22 लाख बिजली का बिल जमा कराया है, उससे मुझे जो कमीशन मिला, वह मेरे परिवार के लिए किसी आक्सीजन से कम नहीं था।

अनाज बैंक चलाने वाली संगीता पटेल कहती हैं कि पीएम के कार्यक्रम में शामिल होने का जिन पौने तीन लाख महिलाओं को सौभाग्य प्राप्त हुआ है, उन्हें मानों नया आसमान मिल गया है। दूर-दराज गांव की जिन महिलाओं को कल तक घर से बाहर निकलने की छूट नहीं थी, अब वह सैकड़ों किलोमीटर दूर पीएम के आमंत्रण पर अतिथि बनकर आई हैं। इन दो महिलाओं के भाव बताते हैं कि महिलाओं का आत्मविश्वास किस तरह उंचाई ले चुका है।

प्रयागराज के परेड मैदान में पहली बार सिर्फ महिलाओं का विशाल संगम है। इन महिलाओं ने प्रदेश के 58189 ग्राम पंचायत में रोजगार की धारा पहुंचाई है। इन विशेष महिलाओं में 50772 सामुदायिक शौचालय केयर टेकर, 22210 समूह सखी, 6179 बैंक सखी, 54715 बीसी सखी, 8018 आजीविका सखी हैं। इसी तरह 15434 विद्युत सखी, 4040 टेक होम राशन संचालिका, 79500 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हैं। कन्या सुमंगल योजना के 31600 लाभार्थी भी शामिल हैं। यह कारवां निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। इनके विश्वास को नई धार मिली है, आने वाले दिनों में आधी आबादी समाज में नया परिर्वतन करने जा रही है, जो समाज के लिए नई मजबूती प्रदान करने वाला होगा।


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