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Kumbh mela 2019 : जोगता परंपरा को संरक्षित कर रहा किन्नर समाज, पायल मां चला रहीं मुहिम

कुंभ मेला में किन्‍नर समाज जोगता परंपरा को संरक्षित कर रहा है। किन्‍नर समाज की पायल मां यह मुहिम चला रहीं हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:35 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 11:25 AM (IST)
Kumbh mela 2019 : जोगता परंपरा को संरक्षित कर रहा किन्नर समाज, पायल मां चला रहीं मुहिम

शरद द्विवेदी, कुंभनगर : युगों-युगों से उपेक्षित किन्नर समाज सदियों से सनातन धर्म की रक्षा में जीवन बिता रहा है। बिना प्रचार-प्रसार, आडंबर व दिखावा के किन्नर सनातन धर्म से जुड़ी उन परंपराओं को संरक्षित करने में लीन हैं, जिससे आप लोग वाकिफ नहीं हैं। ऐसी ही एक परंपरा है जोगता की। जोगता परंपरा त्याग, तपस्या, समर्पण व संस्कार की प्रतीक है, किन्नर समाज दशकों से उसे आगे बढ़ा रहा है।

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जोगता परंपरा से जन-जन को जोडऩे की मुहिम

मौजूदा समय में किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर पायल मां जोगता परंपरा की प्रमुख धर्मगुरु हैं। नासिक स्थित रेणुका मांं मंदिर की प्रमुख व सप्तसुंगी देवी की पुजारी पायल तपस्वी का जीवन व्यतीत करते हुए जोगता परंपरा से जन-जन को जोडऩे की मुहिम चला रही हैं। देशभर में इनके पांच हजार से अधिक शिष्य हैं, जो आदिवासी, पिछड़े व ग्रामीण इलाकों में रहकर जप-तप के जरिए लोगों को उत्थान कर रहे हैं। पायल कुंभ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को जोगता परंपरा से जोडऩे की मुहिम चला रही हैं।

क्या है जोगता परंपरा

जोगता परंपरा मां रेणुका को समर्पित है। इसमें व्यक्ति जोगी बनकर रहता है। संत की तरह यह गुरु-शिष्य परंपरा के आधार पर चलती है। जोगता परंपरा से जुडऩे का अधिकार सिर्फ सदाचारी लोगों को है। पायल मां बताती हैं कि कर्नाटक के सौंधती स्थित रेणुका माता का विशाल प्राचीन मंदिर है। वहां श्रावण मास में बड़े पैमाने पर दीक्षा दी जाती है। दीक्षित होने वाले व्यक्ति को 24 से 48 घंटे का उपवास रखना पड़ता है। उपवास के दौरान उन्हें सिर्फ दो बार जल ग्रहण करने की अनुमति होती है। व्रत पूरा होने के बाद उनके पूरे वस्त्र में नीम की पत्ती लपेटकर पवित्र किया जाता है। फिर हल्दी, चंदन का लेप लगाकर कुमकुम का टीका लगाया जाता है। इसके बाद गुरु दीक्षित करके संस्कारित करते हैं।

करना होता है इन नियमों का पालन

पायल मां बताती हैं कि जोगता परंपरा अपनाने वाले व्यक्ति जीवन में किसी को अपशब्द न बोलने की शपथ दिलाई जाती है। मांस, मदिरा का सेवन उनके लिए अभिशाप होता है। सादगी से जीवन बिताते हुए धर्महित में काम करना होता है। एक-दूसरे के अभिवादन में सारनाथ बोलते हैं। जोगता परंपरा अपनाने वाले व्यक्ति को जीवनभर गरीब, असहाय, अशिक्षित लोगों की मदद करनी होती है।


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