Move to Jagran APP

यह है बदरे आलम का कन्हैया जो 40 किलो मीटर की रफ्तार में 90 डिग्री पर मुड़ जाता है

शहर की सड़कों पर इस समय बदरेआलम का घोड़ा अपनी रफ्तार से लोगों को भादों में भी सावन का एहसास करा रहा है। शहर की सड़कों पर जब कन्हैया घोड़ा टक-टक की आवाज के साथ रफ्तार भरता है तो उसके देखने वालों की भीड़ सड़क के किनारे जुट जाती है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 06:14 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 03:41 PM (IST)
यह है बदरे आलम का कन्हैया जो 40 किलो मीटर की रफ्तार में 90 डिग्री पर मुड़ जाता है
40 से 42 किलो मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है शहर का मशहूर घोड़ा कन्हैया

प्रयागराज, जेएनएन। सावन में गहरेबाजी का अपना अलग ही मजा होता है। लेकिन शहर की सड़कों पर इस समय बदरेआलम का घोड़ा अपनी रफ्तार से लोगों को भादों में भी सावन का एहसास करा रहा है। शहर की सड़कों पर जब कन्हैया घोड़ा टक-टक की आवाज के साथ रफ्तार भरता है तो उसके देखने वालों की भीड़ सड़क के किनारे जुट जाती है। कन्हैया अपने रफ्तार और शानदार चाल के लिए इन दिनों चर्चा में है। इसके मालिक भी इसकी सेहत का भरपूर ख्याल रखते हैं। यह जिस रफ्तार से दौड़ता रहता है, मालिक के इशारे पर उसी रफ्तार से मुड़ जाता है। प्रतिदिन इसे आहार में चार किलो चना, दो लीटर दूध के साथ 250 ग्राम बादाम दिया जाता है।

loksabha election banner

25 किलोमीटर तक का सफर करता है हर रोज

वैसे तो कन्हैया में कई खूबियां है लेकिन उसकी दो खूबी उसे चर्चा में बनाए हुए है। प्रतिदिन 20 से 25 किलो मीटर का सफर तय करता है। वह जिस रफ्तार से दौड़ता रहता है उसी रफ्तार से 90 डिग्री के कोण पर अपने मालिक के इशारे पर मुड़ जाता है। सुबह के वक्त म्योहाल, हिन्दू हास्टल चौराहा, सुभाष चौराहा, विवेकानंद चौराहा पर कन्हैया की रफ्तार देखने के लिए लोग खड़े रहते हैं। कन्हैया के स्वास्थ्य के प्रति बदरे आलम का जुनून भी अलग दिखाई देता है। कहीं से भी आते हैं तो सबसे पहले कन्हैया के पास जाकर उस पर हाथ फेरते हैं उसके बाद वह दूसरा काम करते हैं। इसे परिवार का एक सदस्य मानते हुए इसके लिए दो गायों को भी पाला है जिसका दूध प्रतिदिन कन्हैया पीता है। बदरेआलम कन्हैया को हल्का चना खिलाकर प्रतिदिन रेड़ी यानी बग्घी में लगाकर उसकी दौड़ कराते हैं। कटरा मनमोहन पार्क से कन्हैया दौड़ शुरू करता है। फिर शहर के प्रमुख स्थानों से होते हुए फाफामऊ उसके बाद वहां से संगम फिर संगम से सिविल लाइंस, हाईकोट होते हुए वापस कटरा आता है।

चार बीघा में घोड़ा के लिए की है चना की खेती

घुड़सवारी का शौक रखने वाले बदरेआलम ने कन्हैया के लिए चार बीघा में चना की खेती कर रखी है। शंकरगढ़ के नारीबारी में उन्होंने चना की फसल लगा रखी है। बताया कि बाजार से चना खरीदना सही नहीं होता है। इस वजह से खुद चना की खेती करता हूं। खान पान के साथ सफाई का भी बेहतर प्रबंध रहता है। कन्हैया पर प्रतिमाह लगभग 25 से 30 हजार रुपये का खर्च आता है।

दिल्ली से बनाई है रेड़ी

बदरे आलम के बाबा शेख फरीद भी घुड़सवारी का शौक रखते थे। बदरे आलम भी 15 वर्ष की उम्र से घुड़सवारी कर रहे हैं। बदरे आलम की इस समय उम्र 68 वर्ष हो चुकी है। घुड़सवारी के लिए यह दिल्ली से रेड़ी यानि बग्घी मंगाई हैं जिसकी कीमत इस समय लगभग 35 हजार रुपये हो चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.