स्नान-दान और तप के साथ तीर्थराज में बसे तंबुओं के शहर में कल्पवास
गंगा-यमुना की पवित्र रेती पर मोक्ष प्राप्ति का अखंड तप कल्पवास पौष पूर्णिमा स्नान से शुरू हो रहा है। यह एक माह तक 33 करोड़ देवी-देवताओं की साधना का उपक्रम हैं।
इलाहाबाद (जेएनएन)। गंगा-यमुना की पवित्र रेती पर मोक्ष प्राप्ति का अखंड तप कल्पवास पौष पूर्णिमा स्नान के साथ आरंभ हो रहा है। अब आस्थावान श्रद्धालु, मोह-माया से दूर एक माह तक व्रत, भजन, पूजन के जरिए 33 करोड़ देवी-देवताओं को साधने जा रहे हैं। प्रयाग में कल्पवास दो प्रकार से किया जाता है। एक चंद्रमास व दूसरा शौर्य मास का कल्पवास। पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक चंद्रमास का कल्पवास रहता है और मकर संक्रांति से कुंभ संक्रांति तक शौर्य मास। गंगा यमुना तीरे कल्पवास की परंपरा सदियों पुरानी है। माघ मेला क्षेत्र में रात तक 50 हजार से अधिक कल्पवासी व संत-महात्माओं ने अपना डेरा जमा लिया। सुबह संगम अथवा गंगा में स्नान कर सभी विधिवत कल्पवास आरंभ कर रहे हैं।
माघ मेला स्नान गुरुवार से, तपस्या करने तीर्थराज पहुंचे हजारों श्रद्धालु
पूर्णिमा पूर्ण करेगी मनोकामना
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि बुधवार शाम 7.20 बजे से लगकर गुरुवार शाम 5.26 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के चलते गुरुवार को दिनभर इसका महत्व रहेगा। अमृत सिद्धयोग, गुरु पूर्णा सिद्धि योग साधकों की मनोकामना पूर्ण करेगी। स्नान, ध्यान व दान का पुण्य मुहूर्त सुबह 5.36 बजे से सुबह 6.47 बजे तक है। इसमें पैसे के अलावा अन्न, काला तिल, ऊन, वस्त्र व बर्तन का दान पुण्यकारी रहेगा। पौष पूर्णिमा को श्रद्धालु कल्पवास का आरंभ करेंगे। ठंड व प्रशासनिक अव्यवस्था भी इस बार आस्था को नहीं डिगा पाई है। ट्रैक्टर, ट्रक व दूसरे वाहनों में खाने-पीने, पूजा-पाठ का सामान लादकर मेला क्षेत्र आए लोग शिविर दुरुस्त करते रहे।
माघ मेलाः आबाद होने लगी तंबुओं की नगरी इलाहाबाद
माघ मेले व चुनाव में 62 फीसद रोडवेज बसें
परिवहन निगम के बेड़े में शामिल साढ़े दस हजार बसों की संख्या यूं तो अच्छी खासी लगती है, लेकिन अगले दो महीने बस यात्रियों के लिहाज से कठिनाई भरे साबित हो सकते हैं। दरअसल निगम ने साढ़े तीन हजार बसों को माघ मेले में और तीन हजार बसों को विधानसभा चुनाव की ड्यूटी में लगा दिया है। यानी करीब 62 फीसद बसें चलन से बाहर हो सकती हैं। हालांकि परिवहन अधिकारी ऐसी व्यवस्था करने का दावा कर रहे है, जिससे मेला और चुनाव भी हो जाए और यात्रियों को भी असुविधा न होने पाए। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के.रविंद्र नायक ने एक दिन पहले माघ मेले के लिए दो चरणों में कुल साढ़े तीन हजार बसें निर्धारित की थीं। इसी क्रम में बुधवार को उन्होंने चुनाव ड्यूटी में करीब तीन हजार बसें लगाने का निर्देश दिया है। कुल साढ़े दस हजार बसों में से साढ़े छह हजार बसों के चलन से बाहर होने पर यात्रियों के लिए बसों का संकट होना तय है।
माघ मेले में 2000 बसें
परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक जयदीप वर्मा कहते है कि समय प्रबंधन के जरिये व्यवस्था संभाली जाएगी और यात्री सेवा के लिए भी बसें कम नहीं होने दी जाएंगी। वह बताते है कि माघ मेले की 2000 बसें एक फरवरी के बाद खाली हो जाएंगी, जबकि चुनाव के लिए बसें फरवरी के दूसरे हफ्ते से जानी शुरू होंगी। इस बीच जो थोड़ी-बहुत जरूरत महसूस होगी, उसे देखते हुए बसों के फेरे बढ़ाए जा सकते है। वर्मा बताते है कि जो बसें दो फेरे लगाती है, उन्हें चार फेरों के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र से लौट कर आने वाली बसों को भी शहरों की ओर दौड़ाया जा सकता है। उधर रोडवेज कर्मचारी महासंघ के महासचिव गिरीश मिश्र ने भी बसों के चुनाव और मेले में जाने से कोई खास फर्क न पडऩे की बात कही है। मिश्र का कहना है कि फरवरी के दौरान और चुनाव के भी दौरान यात्रियों की संख्या कम होने का अनुभव रहा है। वैसे भी रोडवेज का पैैसेंजर लोड फैक्टर 60 फीसद है। बसें कम होंगी तो यात्रियों को असुविधा नहीं होगी, बल्कि लोड फैक्टर बढ़ जाएगा।
बसों को ऑनरोड रखने के निर्देश
परिवहन निगम के एमडी की ओर से भेजे गए निर्देश में अधिकारियों से क्षेत्र या डिपो स्तर पर ऑफरोड (परिचालन से बाहर) बसों को तत्काल ऑनरोड करने को कहा है। साथ ही हिदायत दी है कि 15 जनवरी से 20 मार्च तक एक फीसद से ज्यादा बसें ऑफरोड न होने पाएं। इससे अधिक बसों के ऑफरोड होने पर मुख्यालय में कारण सहित जानकारी देने को कहा गया है। एमडी ने चुनाव ड्यूटी में भेजी जाने वाली बसों की मैकेनिकल व फिजिकल फिटनेस पूरी तरह दुरुस्त करने को कहा।