महामना ने कहा था कि मुस्लिम भी बीएचयू के लिए हिंदू हैं : जस्टिस गिरधर मालवीय Prayagraj News
बीएचयू के संस्कृत विभाग में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति पर रार छिड़ी है। इससे बीएचयू के कुलाधिपति जस्टिस गिरधर मालवीय आहत हैं।
प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक, भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र और बीएचयू के कुलाधिपति (चांसलर) जस्टिस गिरधर मालवीय संस्कृत धर्म विद्या संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति के बाद उपजे विवाद से आहत हैं। उनका कहना है बाबा (महामना) का कभी ऐसा दृष्टिकोण नहीं था। छात्र-छात्राओं को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। महामना की बगिया तो सभी के लिए खुली है। बाबा कहते थे कि मुस्लिम भी बीएचयू के लिए हिंदू हैं।
...जब हैदराबाद के निजाम ने महामना को दान से मना किया
दैनिक जागरण से खास बातचीत में जस्टिस गिरधर मालवीय ने बताया कि महामना बीएचयू के निर्माण के लिए दान मांगने हैदराबाद के निजाम के पास गए थे। उन्होंने दान देने से मना कर दिया था। तब महामना ने कहा था-हम तो बिना कुछ लिए जाते नहीं, हम यहीं बैठे रहेंगे। इस पर पहले गिरफ्तार करने को कहा फिर बताया गया कि वह उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। जब महामना वहां से लौटने लगे तो उनकी चप्पल उठा लाए और नीलाम करने की बात कही।
बोले, बाबा के साथ मैं 10 वर्ष की आयु से रहने लगा था
इस पर निजाम ने महामना को दोबारा बुलवाया और पूछा कि आखिर मैं दान क्यों दूं, आप हिंदू हैं और मैं मुस्लिम। इस पर महामना ने निजाम से कहा था कि हमारे लिए मुस्लिम भी हिंदू हैं। बीएचयू के लिए भी मुस्लिम हिंदू हैं। उन्होंने बताया कि बाबा के साथ मैं 10 वर्ष की आयु से रहने लगा था। उन्हें बहुत करीब से जाना है। वह ऐसे संकीर्ण भाव मन में नहीं रखते थे। उन्होंने कहा था स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते...।
योग्यता का सम्मान करना चाहिए
जस्टिस मालवीय ने कहा कि योग्यता का सम्मान किया जाना चाहिए। बोले, छात्र किस आधार पर फिरोज खान का विरोध कर रहे हैं, यह समझ से परे है। पहली बात तो यह है कि फिरोज खान को कर्मकांड पढ़ाने के लिए नहीं बल्कि साहित्य पढ़ाने के लिए रखा गया है। दूसरा यह कि यदि कर्मकांड के लिए भी नियुक्ति हुई है तो छात्रों को विरोध करने के बजाय पढऩा चाहिए।