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न्यायालयों में स्थानीय भाषा में हो बहस और फैसला : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नेन्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने का रास्ता दिखाया है। कहा कि न्यायालयों में स्थानीय भाषा में बहस और फैसला होना चाहिए।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 09:16 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 10:24 PM (IST)
न्यायालयों में स्थानीय भाषा में हो बहस और फैसला : राष्ट्रपति

इलाहाबाद (जेएनएन)। संगम नगरी से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने का रास्ता दिखाया है। कहा कि न्यायालयों में स्थानीय भाषा में बहस और फैसला होना चाहिए। निर्णयों का  हिंदी में अनुवाद किया जाए ताकि आम लोगों को वह ठीक से समझ आए। इस दिशा में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कदम भी बढ़ा दिए हैं। अब अन्य न्यायालयों की बारी है। बोले, वादकारियों को सस्ता, सरल और सुलभ न्याय मुहैया कराना बहुत जरूरी है। इससे न्याय पालिका का कद पहले से अधिक बढ़ जाएगा।

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राष्ट्रपति शनिवार को इलाहाबाद के झलवा में प्रस्तावित न्याय ग्राम टाउनशिप की आधारशिला रखने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने न्याय व्यवस्था से जुड़े रहकर उसे बेहद करीब से देखा है कि गरीब को न्याय कैसे मिलता है। देश का सामान्य नागरिक न्याय पालिका का दरवाजा खटखटाने से परहेज करता है। इस व्यवस्था में अब बदलाव जरूरी है। बोले, देश भर में करीब तीन करोड़ मामले लंबित हैं, इनमें 40 लाख मामले सालों से अटके हैं। वहीं, करीब 10 लाख मामले 10 साल से भी अधिक समय से लंबित चल रहे हैं। यह तस्वीर बदलनी चाहिए, क्योंकि न्याय में विलंब होना भी अन्याय है। इसके लिए वैकल्पिक न्याय प्रणाली मजबूत करने पर बल दिया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अब कुछ न्यायालय वादों का शीघ्रता से निस्तारण करने का कदम भी उठा रहे हैं।

ग्राम न्याय टाउनशिप योजना देश के वीर जवानों को समर्पित

राष्ट्रपति ने कहा कि संयोग से आज विजय दिवस है। आज के ही दिन 1971 में ढाका सीमा पर दुश्मन देश के 90 हजार जवानों ने भारतीय फौजियों के आगे समर्पण किया था। इसलिए आज का यह कार्यक्रम देश के उन बहादुर जवानों को समर्पित करता हूं, जिन्होंने वीरता दिखाकर देश का गौरव बढ़ाया।

गौरवशाली परंपरा पर दी बधाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट की डेढ़ सौ वर्षों की गौरवशाली न्याय परंपरा का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इसी दौरान आजादी की लड़ाई भी लड़ी गई और लोकतंत्र का विकास भी हुआ। आजादी की लड़ाई में शामिल रहे और आजादी के बाद भी लोकतंत्र के विकास से जुड़े लोगों को हाईकोर्ट ने समय-समय पर न्याय दिया। उन्होंने पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के नाम का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति ने कहा कि यहां बार और बेंच की गौरवमयी परंपरा बनाए रखना भी बधाई के योग्य है। 

बटन दबाकर रखी आधारशिला

राष्ट्रपति ने मंच से ही बटन दबाकर इलाहाबाद के झलवा में प्रस्तावित न्याय ग्राम टाउनशिप का शिलान्यास किया। उनसे पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल ने इस राष्ट्र के न्याय शासन को अक्षुण्ण बनाए रखने पर बल दिया। राज्यपाल रामनाईक ने सरल और सुलभ न्यायतंत्र स्थापित करने पर बल दिया और न्याय ग्राम टाउनशिप के निर्माण में हर महीने समीक्षा करने के लिए कमेटी गठित करने की जरूरत बताई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्याय व्यवस्था सुदृढ़ रखने में सरकार और अपने संवैधानिक दायित्वों का पूरी तरह से निर्वहन का आश्वासन दिया। स्वागत भाषण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीबी भोंसले ने राष्ट्रपति का जीवन परिचय दिया और हाईकोर्ट में हुए विकास कार्य की जानकारी दी। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मौजूद रहे। 

पर्यटन पर तैयार वीडियो और वेबसाइट का उद्घाटन

इससे पहले महामहिम का काफिला सर्किट हाउस से सुबह करीब सवा आठ बजे संगम तट पहुंचा। महामहिम ने सपत्नीक संगम पर पूजन-अर्चन किया। तट पर बने जेटी पर ही मेला प्रशासन की ओर से राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को स्मृति चिह्न भेंट किया गया। राष्ट्रपति ने यहीं माघ मेला और इलाहाबाद पर्यटन की संयुक्त वेबसाइट और वीडियो का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने माघ मेले का नक्शा देखने के बाद गंगा और मेले की स्वच्छता पर विशेष जोर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने बंधवा स्थित बड़े हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। 


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