Jivaputriika Vrat 2020 : महिलाएं अन्न व जल त्याग कर भक्तिभाव में लीन हैं, कल सुबह होगा व्रत का पारण
Jivaputriika Vrat 2020 पुत्र की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखकर महिलाएं भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का पूजन करेंगी। जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण कल सूर्योदय के बाद होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। जीवित्पुत्रिका यानी जितिया या जिउतिया का निर्जला व्रत रख महिलाएं भगवान के भजन-कीर्तन में रमी हैं। आज सुबह से महिलाएं अन्न व जल त्याग कर भक्तिभाव में लीन हैं। मां लक्ष्मी व भगवान नारायण की महिमा का बखान कर रही हैं। सूर्यास्त के बाद मां महालक्ष्मी व नारायण के चित्र या प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करके अक्षत, रोली, फल, मिष्ठान, पुष्प, पान, सुपाड़ी अर्पित करके जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहेंगी या सुनेंगी। व्रत का पालन कल यानी शुक्रवार को सूर्योदय पर किया जाएगा।
पुत्र की दीर्घायु की कामना को महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत
पुत्र की दीर्घायु, आरोग्यता व सुखमय जीवन के लिए माताएं आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर गुरुवार को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा है। व्रत रखने वाली महिलाओं ने बुधवार की शाम गंगा स्नान किया। सुविधा अनुसार पुत्र व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गंगा, यमुना व संगम के तट पर पहुंचीं। स्नान करने के बाद घाट पर पूजन करके व्रत रखने का संकल्प लिया। रात में भजन-कीर्तन किया।
महाभारत से जुड़ी है जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा
जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा महाभारत से जुड़ी है। अश्वत्थामा ने बदले की भावना से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के फल से उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर पुन: जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। वह बालक बाद में राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।