जानें, Lockdown में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और कई हिंसक प्रवित्तियां लोगों में क्यों जन्म ले रहीं Prayagraj News
भविष्य की आशंका और लगातार लंबे वक्त से एक सीमित दायरे में एक दूसरे के अति निकट रहने के कारण इनमें मानसिक दिक्कतें जैसे चिड़चिड़ापन गुस्सा और कई हिंसक प्रवृत्तियां जन्म ले रही हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस से बचने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। अति आवश्यक सेवा से जुड़े लोगों को छोड़कर सभी घरों में कैद हैं। कुछ दिनों तक लगातार घरों में रहना कोई समस्या नहीं है परंतु लंबे समय तक दो से तीन कमरों में बंद होकर रहना भारी दिक्कत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ( डब्ल्यूएचओ ) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मान रहा है कि खुद को चहारदीवारी में जकड़ा हुआ महसूस करने के कारण ऐसी दिक्कतें आ रही हैं। शरीर अब इतना आराम कर चुका है कि लोगों को नींद भी नहीं आ रही। ऐसा कहना है वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. कमलेश तिवारी का।
लंबे वक्त से एक सीमित दायरे में एक दूसरे के अति निकट रहने से मानसिक दिक्कतें
डॉ. कमलेश तिवारी कहते हैं कि लॉकडाउन में बच्चे बाहर खेल नहीं पा रहे हैं तो महिलाएं पड़ोसी तक से बात नहीं कर पा रही हैं और न ही मिल पा रही हैं। युवा और अधेड़ बिना काम के घर पर बैठे हैं। बुजुर्ग पार्क में न टहल पा रहे हैं और न ही किसी से बात कर पा रहे हैं। कुल मिलाकर न कोई किसी के यहां आ रहा है और न ही कोई किसी के यहां जा रहा है। आमने-सामने बात करने से भी लोग हिचकिचा रहे हैं, साथ बैठने की तो बात ही छोड़ दीजिए। भविष्य की आशंका और लगातार लंबे वक्त से एक सीमित दायरे में एक दूसरे के अति निकट रहने के कारण इनमें मानसिक दिक्कतें जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सा और कई हिंसक प्रवृत्तियां जन्म ले रही हैं।
14 दिन के क्वारनटाइन यानी एकांतवास से डर लग रहा है
उन्होंने बताया कि परेशानी के तीन मुख्य कारण हैं। ये हैं OCD । O- obsession यानी भयग्रस्त विचारों का बार-बार आना। C- compulsive मतलब विचारों को अनिवार्य रूप से पूरा करना । D- disorder यानी बार-बार बोलने से भ्रम या विकार पैदा होना। भय और डर के कारण कुछ लोग अपनी ट्रैवेल हिस्ट्री या किसी संक्रमित से मिलने की बात छिपा ले रहे हैं। उन्हें 14 दिन के क्वारनटाइन यानी एकांतवास से डर लग रहा है। इस डर को निकालने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है । ऐसे में प्रशासन को गली-गली में लाउडस्पीकर से ऐसी बात बतानी चाहिए जिससे उनमें जागरूकता आए, आत्मविश्वास बढ़े और लोगों के दिमाग से डर निकल जाए। डर के निकलते ही लोग खुद व खुद सहयोग के लिए आगे आएंगे।
सटीक इलाज न होना भी वजह
डॉ. कमलेश तिवारी कहते हैं कि सबको मालूम हो गया है कि इस बीमारी की अब तक कोई दवा ईजाद नहीं हो पाई है । भय का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है। उन्हें डर है कि कहीं उनकी मौत ना हो जाए । भय बहुत ही खतरनाक होता है। यह किसी भी अन्य बीमारी से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। भय से शरीरिक और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। इसलिए इस वक्त सबसे पहले भय को खत्म करने की जरूरत है। एक समय तक तो कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए डर उत्पन्न करना जरूरी है लेकिन लंबे समय तक इसके बने रहने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अपनी रुचि के अनुसार काम करना चाहिए
घर में रह रहे लोगों को अपनी अपनी रुचि के अनुसार काम करना चाहिए। एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए । व्यायाम, योग, ध्यान लगाना चाहिए। पुराने संबंधों को ताजा करना चाहिए। इसे नकारात्मक भाव में न लें। सकारात्मक लें। यह सुनहरा अवसर है अपने आप के आकलन का। यदि आपने खुद का आकलन कर लिया तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। आप खुशकिस्मत है कि ऐसा अवसर आपके जीवन में आया है। इसका फायदा उठाएं और अपने जीवन को संवारें।
बच्चों के साथ इनडोर गेम्स खेलकर समय बिताएं
छोटे बच्चों को संभालने में थोड़ी दिक्कत है। उन्हें हकीकत बताएं, उन्हें समझाएं और उनके साथ समय गुजारें। बच्चों के साथ लूडो, कैरम, चेस जैसे इनडोर गेम खेलें। उनके साथ अंताक्षरी खेलें। आपका भी मन लग जाएगा और बच्चों का भी। चैनल पर इस वक्त रामायण, महाभारत, चाणक्य, शक्तिमान, बुनियाद जैसे पुराने सीरियल दूरदर्शन पर शुरू हो गए हैं । बच्चों के साथ उनका आनंद लीजिए और उन्हें रामायण , महाभारत की महत्ता समझाइए।
हेल्पलाइन
कोरोना के चलते लगातार घर में रह रहे लोग तनाव महसूस कर रहे हैैं। ऐसे में लोग मनोवैज्ञानिक से बात करके अपना तनाव दूर या मानसिक समस्या दूर कर सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक कमलेश तिवारी का मोबाइल नंबर 9454255216 है।