...तो इसलिए सीजीएसटी की नोटिस ने कारोबारियों को कर रखा है परेशान Prayagraj News
नोटिस में महीनेवार ब्याज का उल्लेख नहीं है। सिर्फ वर्षवार ब्याज का ब्योरा दिया गया है। व्यापारियों का कहना है कि यह गलत है क्योंकि इनपुट टैक्स का हिस्सा उनका होता है।
प्रयागराज, जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत विलंब से रिटर्न जीएसटीआर (3बी) दाखिल करने वाले कारोबारियों से ब्याज वसूली के लिए नोटिस जारी हो रही है। सीजीएसटी विभाग की ओर से जारी इस नोटिस पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। ऐसा इसलिए कि व्यापारियों से ग्रास (सकल) यानी आउटपुट और इनपुट (दोनों) टैक्स पर ब्याज देने के लिए कहा गया है। व्यापारियों का तर्क है कि ब्याज सिर्फ आउटपुट टैक्स पर लगना चाहिए, इनपुट टैक्स उनके हिस्से में शामिल है। ऐसे में ग्रास टैक्स पर ब्याज लेना उचित नहीं है।
12 जिलों में चिह्नित व्यापारियों पर करीब 75 करोड़ रुपये का ब्याज निर्धारण
दरअसल, पिछले दिनों सीजीएसटी विभाग ने जीएसटी लागू होने के बाद से (तीन साल का) करीब 78 हजार ऐसे व्यापारियों का वर्षवार ब्योरा तैयार करके नोटिस जारी करना शुरू किया, जिन्होंने विलंब से 3बी जमा किए थे। इलाहाबाद (प्रयागराज) परिक्षेत्र में प्रयागराज समेत कौशांबी, चित्रकूट, प्रतापगढ़, रायबरेली, बांदा, सुल्तानपुर, भदोही, जौनपुर, अमेठी समेत 12 जिलों में चिह्नित व्यापारियों पर करीब 75 करोड़ रुपये का ब्याज निर्धारण हुआ है। व्यापारियों को जारी नोटिस में सकल टैक्स पर सात दिन में ब्याज देने के लिए कहा गया है।
नोटिस में महीनेवार नहीं वर्षवार ब्याज का उल्लेख है
नोटिस में महीनेवार ब्याज का उल्लेख नहीं है। सिर्फ वर्षवार ब्याज का ब्योरा दिया गया है। व्यापारियों का कहना है कि यह गलत है, क्योंकि इनपुट टैक्स का हिस्सा उनका होता है। उनके कैश लेजर में जो पैसा था, उसे घटाकर बची राशि पर ब्याज लेना चाहिए। नोटिस में यह भी जिक्र नहीं है कि ब्याज में कितनी रकम केंद्र और कितनी प्रदेश सरकार की है।
वर्षवार आंकड़ा
-2017-18 में 25 हजार कारोबारियों ने विलंब से दाखिल किया रिटर्न। इन पर करीब 25 करोड़ का ब्याज बना
-2018-19 में 28 हजार व्यापारियों ने देरी से भरा रिटर्न। इन पर लगभग 38 करोड़ का ब्याज तय हुआ
-2019-20 में 25 हजार कारोबारियों ने लेट रिटर्न दाखिल किया। इन पर तकरीबन 12 करोड़ का ब्याज का निर्धारण हुआ।
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल कहते हैं
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल कहते हैं कि ग्रास टैक्स पर ब्याज लेना गलत है। व्यापारियों को पहले से जानकारी देनी चाहिए थी। विलंब शुल्क के साथ वह ब्याज भी जमा कर देते। अब चार-पांच लाख रुपये ब्याज व्यापारी कहां से जमा करेंगे, यह सोचने वाली बात है।