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...जब इंदिरा को रद करनी पड़ी अपनी सभा

एक बार पूर् पीएम इंदिरा गांधी को अपनी सभा को रद करना पड़ा। उस समय पूर्व कैबिेनेट मंत्री सत्‍यप्रकाश मालवीय इलाहाबाद के नगर प्रमुख यानी मेयर थे। मालवीय जी के निधन पर राजनीतिक लोगों में शोक का माहौल है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:42 PM (IST)
...जब इंदिरा को रद करनी पड़ी अपनी सभा
...जब इंदिरा को रद करनी पड़ी अपनी सभा

जासं, इलाहाबाद : समाजवादी पार्टी के पूर्व महानगर अध्यक्ष व सत्य प्रकाश मालवीय के बेहद करीबी रहे केके श्रीवास्तव ने बताया कि 1972 की बात है। सत्य प्रकाश मालवीय उस समय नगर प्रमुख (मेयर) थे। डीएम इलाहाबाद ने कहा था कि नगर प्रमुख होने के नाते आपको इंदिरा गांधी की हवाई अड्डे पर अगुवाई करने जाना है। इस पर कहा कि जिलाधिकारी महोदय मैं विपक्षी पार्टी में हूं। मैं उनका स्वागत नहीं कर सकता। हां, मैं जनता की समस्याओं को लेकर उनका विरोध जरूर कर सकता हूं। हुआ भी यही। उन्होंने केपी कॉलेज में होने वाली इंदिरा गांधी की सभा में हजारों की संख्या में कार्यकर्ता लेकर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो भिड़ गए। लाठीचार्ज हो गया। कई दर्जन लोक चोटिल हो गए। अंत में इंदिरा जी का भाषण नहीं हो पाया।

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लोकप्रिय नेता थे पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्य प्रकाश मालवीय : केशरीनाथ

पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्य प्रकाश मालवीय के निधन पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि देश ने एक जनप्रिय नेता खो दिया है। वे हंसमुख, सहज-सरल और आम आदमी की चिंता करने वाले लोकप्रिय नेता थे। बताया कि वे नेता कम समाजसेवी ज्यादा थे। वे मेरे अच्छे मित्र और सूझ-बूझ वाले नेता थे।

 राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनका व्यक्तित्व अद्वितीय था। वे अपनी ईमानदारी और कर्मठता के कारण जनता के दिलों पर राज करने वाले जनप्रिय नेता थे। उनके योगदान को पार्टी कभी नहीं भुला सकती। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेखर बहुगुणा कहा कि सत्य प्रकाश मालवीय जन-जन के लोकप्रिय नेता थे। वे आम आदमी की हर संभव मदद करते थे। उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल द्विवेदी, श्याम कृष्ण पांडेय, विजय प्रकाश, सुधाकर तिवारी, जावेद उर्फी, भोला नाथ, अफरोज अहमद, सत्य प्रकाश तिवारी, किशोर वाष्र्णेय, डॉ. वीके दीक्षित, वीरेंद्र मोहिले, हीरा लाल मालवीय, निशांत त्रिपाठी, रवि प्रकाश, अजय द्विवेदी, अमरनाथ मिश्रा, शैलेश सिंह, अजय श्रीवास्तव, भाजपा नेता अमित मालवीय आदि ने शोक व्यक्त किया है।

डॉ. मुरली मनोहर जोशी को सात वोटों से हराया :

1972 में नगर प्रमुख चुनाव में जनसंघ के टिकट पर डॉ. मुरली मनोहर जोशी चुनाव मैदान में थे। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से सामने सत्य प्रकाश मालवीय चुनाव लड़े। कांटे की टक्कर हुई। कोई नहीं कह सकता था कि कौन जीतेगा पर सत्य प्रकाश मालवीय ने सात वोटों से विजय हासिल किया।

निजी काम में नहीं किया सरकारी गाड़ी का प्रयोग :

वे ईमानदारी व सादगी के मिशाल थे। उन्होंने मेयर रहते हुए कभी सरकारी गाड़ी का प्रयोग निजी काम में नहीं किया। अपने लंब्रेटा से वे नगर निगम आते थे। जब कभी दौरा आदि करना होता था तभी वाहन का प्रयोग करते थे। केके श्रीवास्तव बताते हैं कि वे पूरा दिन कचहरी में वकालत करते थे। चौरासी खंभा में पूरा दिन काम करने के बाद शाम को चार बजे नगर निगम जाते थे। काम निपटाते और फिर घर आते थे।

सभासदी हारने के बाद छोड़ दी थी राजनीति :

सत्य प्रकाश ने अपना पहला चुनाव 1959 में लड़ा। वे सभासद का चुनाव हार गए। इससे काफी निराश हुए और बनारस जाकर वकालत करने लगे। 1970 में इलाहाबाद से जाकर लोग उन्हें फिर से चुनाव लडऩे के लिए राजी कर लिए। सभासद का चुनाव लड़े और जीत गए। 1972 में जनसंघ के विरोध में प्रजासोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। उन्हें मुस्लिम मजलिस का समर्थन था। जनसंघ से डॉ. मुरली मनोहर जोशी को उन्होंने सात वोटों से हरा दिया था।

सबसे पहले किया हराने वाले का काम :

समाजवादी नेता विनोद चंद्र दूबे बताते हैं कि उस समय राजनीति कितनी परिपक्व थी और सत्य प्रकाश मालवीय कितने बड़े दिल के नेता थे इसकी बानगी इस घटना से मिल जाती है। वे जब 1991 में पहली बार केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री बनकर इलाहाबाद आए। जंक्शन से सीधे सर्किट हाउस आए। 1979 के विधानसभा चुनाव में उन्हें शहर दक्षिणी सीट से हराने वाले सतीश चंद्र जायसवाल भी पहुंचे। उनके पास कोई आवेदन था। सत्य प्रकाश मालवीय ने सबसे पहले उनका आवेदन लिया और उसपर आदेश दे दिया। ये था राजनीति का स्तर। वे विरोधियों को भी बहुत सम्मान देते थे। उनके काम भी कर दिया करते थे। वे खांटी समाजवादी थे पर 2002 में कांग्रेस की सदस्यता ली। 1977 में वे इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए और 18 महीने तक नैनी जेल में भी रहे।


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