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प्रोफेसर ने पार कर दी थी जुल्म की इंतहा

जासं, इलाहाबाद : भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी) इलाहाबाद के पूर्व प्रोजेक्ट

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Sep 2017 03:12 AM (IST)Updated: Sat, 02 Sep 2017 03:12 AM (IST)
प्रोफेसर ने पार कर दी थी जुल्म की इंतहा
प्रोफेसर ने पार कर दी थी जुल्म की इंतहा

जासं, इलाहाबाद : भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी) इलाहाबाद के पूर्व प्रोजेक्ट एसोसिएट परमात्मा यादव की आत्महत्या मामले में अब परिजन सामने आ गए हैं। अभी तक सदमे में रहे परिजनों ने पुलिस और ट्रिपलआइटी प्रशासन से कोई संपर्क नहीं किया था। गुरुवार को परमात्मा के परिजनों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलकर प्रो. अनुपम अग्रवाल के खिलाफ तहरीर दी और कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की। परिजनों ने एसएसपी को दी गई तहरीर में प्रो. अनुपम अग्रवाल पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। परमात्मा के भाई अवनीश यादव का कहना है कि प्रोफेसर ने परमात्मा पर जुल्म की इंतहा कर दी थी। एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने सीओ सिविल लाइंस श्रीशचंद्र को मामले की जांच सौंप दी है।

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गोरखपुर के महावीर छपरा के रहने वाले परमात्मा के भाई अवनीश यादव मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स नई दिल्ली में सीआइएसएफ के सब इंस्पेक्टर हैं। अवनीश ने बताया कि परमात्मा के गाइड ट्रिपलआइटी में इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के शिक्षक प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल ने परमात्मा को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रोफेसर ने पहले उसका स्टाईपेंड बंद करवाया फिर जानबूझकर परमात्मा को प्रोजेक्ट वर्क से बाहर करने की नोटिस थमा दी।

भाई ने बताया कि 10 जून से उसकी सेवा समाप्त करने के बाद भी उसकी मार्कशीट नहीं दी जा रही थी, जिससे वह दर्जनों जगहों पर चयन के बाद भी न तो ज्वाइन कर पा रहा था और न ही फार्म भर पा रहा था। जहां भी सेलेक्शन के बाद जाता। उससे हर जगह पर मार्कशीट मांगी जा रही थी। स्टाईपेंड बंद होने के बाद वह उसके खर्चे के लिए कई बार उसे पैसा भेजते थे, लेकिन उन्हें इस बात का अनुमान नहीं था कि वह आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठा लेगा।

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सब्जी मंगवाते थे, घर के काम कराते थे प्रोफेसर

अवनीश ने बताया कि परमात्मा के दोस्तों ने बताया कि प्रो. अनुपम उससे अपने घर के भी काम करवाते थे। उससे सब्जी मंगवाते थे। अपने पास घंटों खड़ा करके रखते थे। उसे डांटते थे। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अपने बचाव में परमात्मा समेत अन्य छात्रों से कुछ न कुछ लिखवाकर साइन करा लेते थे ताकि कोई बात होने पर खुद बरी रहें। उसने परमात्मा से यह लिखवा लिया था कि वह अपनी इच्छा से ट्रिपलआइटी परिसर में आ जा रहा है।

यही नहीं भाई परमात्मा 2015 में ट्रिपलआइटी में ही पीएचडी के लिए शार्ट लिस्टेड हुआ था, लेकिन प्रो. अनुपम ने उसका चयन नहीं होने दिया। उसकी जगह पर किसी अपनी परिचित लड़की का चयन कर लिया। परमात्मा को लालच दिया जाता रहा कि उसका चयन पीएचडी में करवा दिया जाएगा। उसकी मार्कशीट भी जबरन रोककर रख ली थी। मांगने पर नहीं दी जा रही थी। परमात्मा ने नोड्यूज के लिए आवेदन किया था पर प्रो. अनुपम उसपर दस्तखत नहीं कर रहे थे। इस दौरान उसका 25 हजार रुपया स्टाईपेंड भी बंद हो गया और उसे प्रोजेक्ट से बाहर करने की नोटिस भी थमा दी। मार्कशीट न होने की वजह से वह कहीं भी ज्वाइन नहीं कर पा रहा था।

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इन जगहों पर हुआ था चयन

-आइआइटी कानपुर में प्रोजेक्ट एसोसिएट।

- एमएनएनआइटी इलाहाबाद में टेक्निकल असिस्टेंट।

- आइआइटी झारखंड, आइआइटी पटना में पीएचडी में चयन।

-एनआइटी गोवा व आइआइटी चंडीगढ़ में भी रिसर्च में चयन हुआ था।

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नौ माह पहले ही हुई थी शादी

मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाला परमात्मा ट्रिपलआइटी परिसर के समीप ज्ञानकुंज कालोनी में मां, पत्‍‌नी के साथ रहता था। उसके पिता वीरेन्द्र यादव की कैंसर से मौत हो चुकी है। परमात्मा की रितु से नौ माह पूर्व एक दिसंबर 2016 को शादी हुई थी। भाई अवनीश ने बताया कि प्रोफेसर ने उस पर शादी के ही दिन इतना दबाव बनाया कि वह अपनी ही शादी के दिन एक दिसंबर को दोपहर में घर पहुंच सका। उसे अवकाश नहीं दिया गया। पांच दिसंबर की सुबह उसे ट्रिपलआइटी वापस आना पड़ा।


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