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Coronavirus को हराना है तो देवालय खोले सरकार Prayagraj News

शास्त्र तो कम से कम यही बताते हैं कि यज्ञ और युद्ध दोनों ही चलते रहे हैं। केंद्र सरकार यदि मंदिरों को खोलने के आदेश देती है तो पुजारियों व व्यवस्थाओं को उसमें सहयोग करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 05:05 PM (IST)
Coronavirus को हराना है तो देवालय खोले सरकार Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। संकट मानवता पर आए या धर्म पर। ऐतिहासिक साक्ष्य कहते हैं कि युद्ध जीतने के लिए पहले यज्ञ हवन कराए गए। देश के हर छोटे-बड़े देवालय सवा दो माह से बंद हैं। कोरोना महामारी से हो रही लड़ाई देवी देवताओं के समक्ष हवन अनुष्ठान के बिना अधूरी है। प्रमुख धर्माचार्याें ने सरकार से मंदिरों को खोलने की अपील की है। कहा कि मंदिर खुलेंगे तो उनमें पूजा पाठ से आबो हवा बदलेगी।

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सरकार मंदिरों को खोलने का आदेश देती है तो व्‍यवस्‍था में करेंगे सहयोग

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का कहना है कि शास्त्र और परंपराएं तो कम से कम यही बताते हैं कि यज्ञ और युद्ध, दोनों ही चलते रहे हैं। केंद्र सरकार यदि मंदिरों को खोलने के आदेश देती है तो पुजारियों व व्यवस्थाओं को उसमें सहयोग करना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि दुनिया खत्म करने पर आमादा कोरोना से जीतना है तो दैवीय शक्तियों का प्रभाव भी जमाना होगा। यह मंदिरों में हवन यज्ञ और अनुष्ठान के बिना संभव नहीं। मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ हवन हों तो आसुरी शक्तियों का नाश होता है, कोरोना का भी इससे समूल नाश होगा। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का कहना है कि पूजा पाठ या वैदिक धर्म अनुष्ठान होते हैं उससे सकारात्मक ऊर्जा आती है। मंदिर वह स्थान होते हैं जहां देवी-देवता वास करते हैं। सरकार को अब मंदिरों के द्वार खुलवाने चाहिए।

जब तक मंदिर नहीं खुलते धर्माचार्य आराध्‍य देव का करें जाप

जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरिगिरि कहते हैं कि वे छह मई को ही लिखकर केंद्र सरकार से अनुरोध कर चुके हैं कि मंदिर खोले जाएं। मंदिरों में भक्तों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने की व्यवस्था वहां के व्यवस्थापक करेंगे। सरकार भी मंदिरों को लेकर चिंतित है। निर्णय सरकार को ही लेना है। लेकिन, जब तक मंदिर नहीं खुलते तब तक सभी धर्माचार्य अपने-अपने आराध्य देव का जाप करें।


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