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Prayagraj News: इलाहाबाद संग्रहालय में कैद है ‘सोन चिरैया भारत’, चार शासनकाल के हैं सिक्के; इतिहास के हैं गवाह

Prayagraj News इलाहाबाद संग्रहालय ने 18 से 20 मई तक दिल्ली के प्रगति मैदान में संग्रहालय एक्सपो में प्रतिभाग किया। वहां प्रदर्शित 16 प्रमुख धरोहरों में गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त का अश्वमेध स्वर्ण सिक्का अकबर का मेहराबी सिक्का भी प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिकृति बनाकर रखा था।

By Swati SinghEdited By: Swati SinghPublished: Sat, 27 May 2023 01:02 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2023 01:02 PM (IST)
Prayagraj News: इलाहाबाद संग्रहालय में कैद है ‘सोन चिरैया भारत’, चार शासनकाल के हैं सिक्के; इतिहास  के हैं गवाह
इलाहाबाद संग्रहालय में कैद है ‘सोन चिरैया भारत’, चार शासनकाल के हैं सिक्के; इतिहास के हैं गवाह

प्रयागराज, अमरदीप भट्ट। भारत कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। देश के हर कोने में भारत की संस्कृति सोने में लिपटी थी। मंदिरों में सोने की मूर्तियां थी। भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है इलाहाबाद संग्रहालय में इसे प्रामाणिक रूप से दिखा भी सकता है।

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यहां मोहरें और सोने के सिक्के धरोहर के रूप में रखे हैं, जो विभिन्न शासनकाल में चलन में थे। इसमें सम्राट अकबर के समय का मेहराबी सिक्का प्रमुख है। इस ‘सोनचिरैया भारत’ को संग्रहालय ने वर्षों से स्ट्रांग रूम में कैद कर रखा है, जो पर्यटकों के लिए रोचक हो सकते हैं।

इलाहाबाद संग्रहालय ने 18 से 20 मई तक दिल्ली के प्रगति मैदान में संग्रहालय एक्सपो में प्रतिभाग किया। वहां प्रदर्शित 16 प्रमुख धरोहरों में गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त का अश्वमेध स्वर्ण सिक्का, अकबर का मेहराबी सिक्का भी प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिकृति बनाकर रखा था। जबकि यहां के संग्रहालय में ये सिक्के नहीं दिखते, न ही इसके लिए कोई वीथिका है।

चार शासकों के 250 सिक्के

इलाहाबाद संग्रहालय में सोने के करीब 250 सिक्के कुषाण, गुप्त, राजपूत और मुगल शासनकाल के हैं। प्राचीन वैभवशाली भारत की तस्वीर के साथ ही सिक्के तत्कालीन इतिहास को भी बताते हैं। 

ऐसा है मेहराबी सिक्का

सम्राट अकबर के शासनकाल में चलन में रहे मेहराबी सिक्के का वजन 10.8770 ग्राम, लिपि- ला इलाही इल्लल्लाह मोहम्मदुर्र रसूलल्लाह। इसके नीचे चार खलीफा अबू बकर, उमर, उस्मान और अली का नाम अंकित है।

स्वर्ण सिक्कों के प्रदर्शन में होती है दिक्कत

इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से स्वर्ण सिक्कों का प्रदर्शन नहीं कर पाते। दूसरी धरोहरों और स्वर्ण सिक्कों के धातु मूल्य में भारी अंतर है। कोशिश कर रहे हैं सिक्कों के लिए एक अलग वीथिका निर्माण की। किसी भी वीथिका निर्माण की एक लंबी प्रक्रिया होती है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष की प्रथम तिमाही में वीथिका बन जाएगी और उनमें सिक्कों का प्रदर्शन करेंगे।


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