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हाई कोर्ट ने केजीबीवी के अध्यापकों को शिक्षामित्रों की भांति वरीयता देने के मामले में मांगा जवाब

हाई कोर्ट में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के अध्यापकों को भी सहायक अध्यापक भर्ती में शिक्षामित्रों की तरह अध्यापन अनुभव को वरीयता देने की मांग में याचिका दाखिल की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 07:33 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 07:34 PM (IST)
हाई कोर्ट ने केजीबीवी के अध्यापकों को शिक्षामित्रों की भांति वरीयता देने के मामले में मांगा जवाब

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में पढ़ा रहे अध्यापकों को भी सहायक अध्यापक भर्ती में शिक्षामित्रों की तरह अध्यापन अनुभव को वरीयता देने की मांग में याचिका दाखिल की गई है। हाई कोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने रीति चौधरी व 35 अन्य की याचिका पर दिया है।

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याचिका में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली के नियम 14 के परिशिष्ट 1 क्लाज 6 की वैधानिकता को भी चुनौती दी गयी है। याचिका पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। गौरतलब है कि सर्व शिक्षा अभियान के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। लेकिन, उन्हें अध्यापक नहीं माना जाता। इसके कारण उनके अध्यापन अनुभव को सहायक अध्यापक भर्ती में वरीयता नहीं दी जा रही है।

याचियों का कहना है कि शिक्षामित्रों के अध्यापन अनुभव को वरीयता देने का फैसला लिया गया है। याची कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। शिक्षामित्रों को वरीयता देना तथा याचियों को न देना विभेदकारी होने के कारण रद किया जाय। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि कक्षा एक से पांच तक पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। कक्षा छह से आठ तक के सीनियर बेसिक स्कूलों के अध्यापकों की तुलना जूनियर बेसिक स्कूलों के अध्यापकों से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने मुद्दे को विचारणीय माना और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।


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