हाई कोर्ट ने कहा- 5000 करोड़ के फ्राड की जांच क्यों न ईडी या आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाए
याची का कहना है कि पांच हजार करोड़ के फ्राड की शिकायत दर्ज कराई है। उसे इस घोटाले में लिप्त लोगों द्वारा धमकी दी जा रही है। विवेचना अधिकारी याची पर समझौते का दबाव डाल रहा है। इसलिए केस की विवेचना अन्यत्र स्थानांतरित की जाए।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जौनपुर की विभिन्न योजनाओं में पांच हजार करोड़ रुपये के फ्राड, घोटाले की जांच पर प्रदेश के डीजीपी से पूछा है कि क्यों न राष्ट्रीय हित में जांच ईडी या आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाए। कोर्ट ने एक एसजीआइ से भी संबंधित विभागों से जानकारी मांगी है। कोर्ट का मानना है कि स्थानीय पुलिस इतने बड़े घोटाले की विवेचना करने में सक्षम नहीं है। कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि निश्चित समय तिथि तय कर ह्विसिल ब्लोवर याची को सुनकर उसके प्रत्यावेदन को निर्णीत करें।
याचिका की सुनवाई 17 जनवरी को
कोर्ट ने मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव गृह को भी इस मामले में विचार करने को कहा है। साथ ही अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 17 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति एसपी सिंह की खंडपीठ ने कुमारी बाबा बेटी की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि पांच हजार करोड़ के फ्राड की शिकायत दर्ज कराई है। उसे इस घोटाले में लिप्त लोगों द्वारा धमकी दी जा रही है। विवेचना अधिकारी याची पर समझौते का दबाव डाल रहा है। इसलिए केस की विवेचना अन्यत्र स्थानांतरित की जाए। हालांकि कोर्ट ने स्थानांतरित करने की मांग अस्वीकार कर दी और डीजीपी को इस पर निर्णय लेने को कहा है। सरकारी वकील का कहना था कि विवेचना हो रही है। याची बयान दर्ज कराने के लिए हाजिर नहीं हो रही है।
याची को सुरक्षा देने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि याची को धमकी मिल रही है। ऐसे में उसे डीजीपी से मिलने जाते समय सुरक्षा दी जाए। यदि डीजीपी केस स्थानांतरण नहीं करते तो याची को विवेचना अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को भी याची के आरोपों पर विचार करने का निर्देश दिया है। सुनवाई 17 जनवरी को होगी।