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High Court: लोक अदालत में समझौता विफल तो पंचाट में प्रयास का संक्षिप्त उल्लेख जरूरी

हाईकोर्ट ने कहा है कि पंचाट से पहले लोक अदालत को सौहार्द पूर्ण समझौते का प्रयास करना जरूरी है। यदि समझौता नहीं हो पाता तो संक्षिप्त कार्यवाही का उल्लेख किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किया जाता तो पंचाट अवैधानिक होगा।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 05:27 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से बीमा कंपनी को राहत

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पंचाट से पहले लोक अदालत को सौहार्द पूर्ण समझौते का प्रयास करना जरूरी है। यदि समझौता नहीं हो पाता तो संक्षिप्त कार्यवाही का उल्लेख किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किया जाता तो पंचाट अवैधानिक होगा।

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सुलह कराने के लिए लोक अदालत को वापस भेजा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समझौते का सुसंगत प्रयास किए बगैर लोक अदालत द्वारा जारी ग्रे पंचाट को रद्द कर दिया है और पक्षकारों के बीच सुलह कराने के लिए लोक अदालत को वापस भेज दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि समझौता विफल होता है तो गुण-दोष पर विनिश्चय करते समय प्रयास का संक्षिप्त उल्लेख पंचाट में किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंधक की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।

गलत जानकारी देकर कराया था बीमा

उल्लेखनीय है कि विपक्षी ने अपनी पत्नी प्रमिला त्रिपाठी व बच्चे का स्वास्थ्य बीमा लिया था। बीमार होने पर प्रमिला अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती हुई। आपरेशन हुआ। फिर उन्होंने खर्च का बीमा कंपनी पर तीन लाख 64 हजार 70 रूपये का दावा किया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि विपक्षी की पत्नी प्रमिला मोटापे का शिकार थीं। 12 साल से इलाज करा रहीं थीं। उनका वजन 115 किलो था जबकि 58 किलो वजन बताकर बीमा कराया था। इसके खिलाफ स्थायी लोक अदालत में दावा कर व्याज सहित खर्च दिलाने की मांग की। अदालत ने तारीख तय की। बीमा कंपनी की ओर से जवाब दाखिल हुआ। समझौते का ठोस प्रयास नहीं किया गया और 364678.04 रूपये 10 फीसदी व्याज सहित पंचाट जारी कर दिया जिसे बीमा कंपनी ने चुनौती दी थी।


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