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हाई कोर्ट ने कहा- कानून अस्तित्व में है तो कोर्ट नहीं रह सकती चुप, जवाब न देने का कारण बताएं एसएसपी मथुरा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यदि संविधान द्वारा स्थापित कानून अस्तित्व में है तो कानून का शासन प्रभावी होगा। कानून रुक नहीं सकता और न ही कोर्ट चुप रह सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 08:21 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 08:21 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा- कानून अस्तित्व में है तो कोर्ट नहीं रह सकती चुप, जवाब न देने का कारण बताएं एसएसपी मथुरा

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के एसएसपी को 13 अगस्त तक आदेश के अनुपालन की जानकारी देने व अभी तक पालन नहीं करने के कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो कोर्ट उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर होने का आदेश देगी। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने श्रीमती चंद्रसखी की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका पर अधिवक्ता कुंजेश दुबे ने बहस की। हाई कोर्ट ने याची की ओर से चिकित्सा खर्च बिल जमा करने पर 26 मार्च 2020 तक नियमानुसार पास करने का निर्देश दिया था, जिसका पालन नहीं किया गया।

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अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता केआर सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण मांगी गई जानकारी नहीं मिल सकी है। कोर्ट ने कहा कि यह कोई अच्छा कारण नहीं है। एसएसपी को दो बार मौका दिया गया और आदेश के पालन की कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कोविड 19 के प्रकोप के कारण देरी हो सकती है, किंतु यह भी सच है कि अधिकारियों द्वारा आदेश के पालन में लापरवाही बरती जा रही है। सर्वव्यापी महामारी (पैैंडेमिक) के चलते इसकी माफी नहीं दी जा सकती।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यदि संविधान द्वारा स्थापित कानून अस्तित्व में है तो कानून का शासन प्रभावी होगा। कानून रुक नहीं सकता और न ही कोर्ट चुप रह सकती है। विपक्षी का जानकारी नहीं देने का आचरण प्रथम दृष्टया कोर्ट आदेश की अवहेलना है। सरकारी अधिवक्ता के अनुरोध पर आदेश का पूर्णतया पालन करने का एक मौका दिया जा रहा है।


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