युवा अधिवक्ता को वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस करने की अनुमति देने से हाई कोर्ट का इनकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने युवा अधिवक्ता द्वारा मुकदमे में वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने युवा अधिवक्ता द्वारा मुकदमे में वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। सरिता यादव की क्रिमिनल रिट पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति समित गोपाल की बेंच के सामने मामला आया। याचिका पर बहस करने के लिए कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ।
ऑफिस द्वारा पीठ को बताया गया कि अधिवक्ता स्वाति अग्रवाल ने ई-मेल से अर्जी दाखिल कर मुकदमे में वीडियो कांफ्रेंसिंग से उपस्थित होकर बहस करने की अनुमति मांगी है। इस पर पीठ का कहना था कि अर्जी देखने से पता नहीं चलता है कि अधिवक्ता हाईकोर्ट द्वारा वेब लिंक के जरिए वकीलों के बहस के लिए जारी एडवाइजरी के अनुसार योग्यता रखतीं हैं या नहीं। कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए नियमित सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की है।
गौरतलब है कि आठ जून से हाई कोर्ट ने वकीलों की मांग पर खुली अदालत में सुनवाई व्यवस्था लागू कर दी है। इसके साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी सुनवाई की जा रही है। इसमें कई प्रकार की शर्तें हैं। खुली सुनवाई के दौरान 65 से अधिक आयु के अधिवक्ताओं को अदालत आने की मनाही है। ऐसे अधिवक्ता आवश्यकता पड़ने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रख सकते हैं। इसके लिए उनको वेब लिंक मुहैया कराया जाता है। शारीरिक दूरी मानक का पालन करने के लिए एक बार छह से अधिक वकीलों के उपस्थित होने की भी मनाही है। उन्हीं वकीलों को प्रवेश दिया जा रहा है जिनका केस सुनवाई में लगा है।