अपहरण में आरोपित नाबालिग को जेल भेजने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
याची के अधिवक्ता सुनील यादव का कहना था कि 30 अक्टूबर को आवास विकास कालोनी योजना-2 से एक डॉक्टर के बेटे के अपहरण के आरोप में पुलिस ने तीन युवकों पर एफआइआर दर्ज की थी। पुलिस ने अपहृत की बरामदगी दिखाते हुए नाबालिग को सेंट्रल जेल नैनी भेज दिया था।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग को अपहरण के आरोप में प्रयागराज की झूंसी पुलिस की ओर से गिरफ्तार करके जेल भेजने पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट इस मामले में पुलिस से दो हफ्ते में विस्तृत जानकारी तलब की है। गिरफ्तारी के खिलाफ नाबालिग की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
प्रयागराज के झूंसी थाने का मामला
याचिका पर न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सुनील यादव का कहना था कि 30 अक्टूबर को आवास विकास कालोनी योजना-2 से एक डॉक्टर के बेटे के अपहरण के आरोप में पुलिस ने तीन युवकों पर एफआइआर दर्ज की थी। झूंसी पुलिस ने सरोज विद्याशंकर इंटर कालेज से अपहृत की बरामदगी दिखाते हुए एक मिठाई व्यवसायी के बेटे समेत नाबालिग को सेंट्रल जेल नैनी भेज दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि अभियोजन की कहानी झूठी, मनगढ़ंत और नाटकीय है। पुलिस ने विधि विरुद्ध तरीके से नाबालिग को जेल भेजा है। दर्ज एफआइआर के मुताबिक जिस कथित अपहृत का सुबह 10.30 बजे अपहरण और पुलिस द्वारा दोपहर सवा तीन बजे सरोज विद्याशंकर इंटर कालेज से बरामदगी बताई गई है। जबकि थाने में अपहृत अपनी सौतेली मां मुकदमा वादिनी के साथ 12 बजे झूंसी थाने में मौजूद था, जिसकी पुष्टि झूंसी थाने में लगे सीसीटीवी की फुटेज से की जा सकती है। जिसको झूंसी पुलिस जानबूझकर छिपाने और मिटाने का प्रयास कर रही है। विवेचनाधिकारी ने जानबूझकर थाने के सीसीटीवी कैमरे के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का संकलन नहीं किया, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना और पुलिस रेगुलेशन के चैप्टर-11 पैरा-107 का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है।