Allahabad High Court: विभागीय गलती से अधिक वेतन की वसूली आदेश रद करने के खिलाफ सरकार की अपील खारिज
याची कर्मचारी के अधिवक्ता का कहना था कि विभाग की स्वयं की गलती से अधिक भुगतान की वसूली सेवानिवृत्ति के बाद नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस का हवाला दिया। एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर वसूली आदेश रद कर दिया जिसे अपील में चुनौती दी गई
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है जिसमें एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी। एकलपीठ ने याची को विभाग द्वारा ग़लत वेतन निर्धारण से मिले अधिक भुगतान की वसूली आदेश को रद कर दिया और पुनर्निर्धारित वेतनमान के अनुसार पेंशन आदि का भुगतान करने का निर्देश दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने उप्र राज्य की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया था।
2006 की गलती 2021 में पकड़े जाने पर वसूली आदेश
पीएसी प्रयागराज में चपरासी पद से सेवानिवृत्त कर्मचारी विपक्षी गिरधारी लाल के अधिवक्ता बी एन सिंह राठौर ने प्रतिवाद किया। मालूम हो कि याची का 2006 में वेतन पुनरीक्षित किया गया और विभाग की गलती से याची का अधिक वेतन तय कर दिया गया। 16 मार्च 2021 को पुनर्निधारण में 2,36,305 रूपये अधिक भुगतान की गलती पाई गई। 11 मई 2021 को वसूली आदेश जारी किया गया जबकि याची 30 सितंबर 2020 को ही सेवानिवृत्त हो चुका था।
विभाग की गलती तो रिटायरमेंट बाद वसूली सही नहीं
याची कर्मचारी के अधिवक्ता का कहना था कि विभाग की स्वयं की गलती से अधिक भुगतान की वसूली सेवानिवृत्ति के बाद नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस का हवाला दिया। एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर वसूली आदेश रद कर दिया जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा यदि याची ने वेतन पुनर्निर्धारण की वैधता को चुनौती दी है तो उसके अधिक वेतन की वसूली के अधिकार को नहीं छीना जा सकता।