ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी Prayagraj News
किसानों को उम्मीद थी कि रबी की फसल से नुकसान की भरपाई हो जाएगी। फसल भी अच्छी थी मगर मौसम की मार ने सब बर्बाद कर दिया।
प्रयागराज,जेएनएन। पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि व बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। फसलों की बर्बादी के साथ ही अन्नदाताओं की तमाम उम्मीदें भी धराशायी हो गईं। किसी को बेटी के हाथ पीले करने थे तो किसी ने बेटे को इंजीनियरिंग में दाखिला दिलाने का सपना पाल रखा था। सबसे ज्यादा नुकसान यमुनापार के मेजा, कोरांव, बारा इलाके में हुआ।
फसल के सहारे थी किसी के बेटी की शादी तो किसी के बेटे की पढाई
यमुनापार के पठारी और नदी किनारे के कछारी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा क्षति हुई है। यहां के ज्यादातर किसान फसल के सहारे ही बेटे-बेटी की शादी करते हैैं और उनकी पढ़ाई की फीस देते हैैं। इस साल खरीफ की फसल ज्यादा बारिश और बाढ़ के कारण चौपट हो गई थी। किसानों को उम्मीद थी कि रबी की फसल से नुकसान की भरपाई हो जाएगी। फसल भी अच्छी थी मगर मौसम की मार ने सब बर्बाद कर दिया। लहलहाती तिलहनी और दलहनी फसल देखते ही देखते चौपट हो गईं। गेहूं की फसल भी लोट गईं। सब्जी भी बर्बाद हो गईं। गंगापार के सोरांव और फूलपुर इलाके में आलू की फसल भी चौपट हो गई।
तीन लाख से ज्यादा किसान मौसम की मार से प्रभावित
जिले के तील लाख से ज्यादा किसान मौसम की मार से प्रभावित हुए हैैं। फिलहाल अभी राजस्व विभाग और कृषि विभाग की टीमें बर्बाद फसल का सत्यापन ही कर रही हैैं। रविवार को प्रभारी मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने यमुनापार के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों का दौरा कर जल्द से जल्द दैवीय आपदा के तहत क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिए थे मगर अब तक सत्यापन का कार्य तेज नहीं हो सका है। जिला कृषि अधिकारी डॉ.अश्वनी कुमार सिंह का कहना है कि बीमा कंपनियों के साथ कृषि विभाग की टीमें नुकसान का आंकलन कर रही हैैं। राजस्व विभाग की टीमों की रिपोर्ट पर दैवीय आपदा के तहत मुआवजा मिलेगा।
बर्बादी की कहानी, किसानों की जुबानी
कोरांव के पसना गांव निवासी महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि फसल अच्छी थी। उम्मीद थी कि इस बार मकान की मरम्मत कराएंगे। यही नहीं केसीसी की किश्त भी इससे ही जमा करने की योजना थी। कोरांव के संतलाल का कहना है कि धान की फसल तो अत्यधिक बारिश के चलते खराब हो ही गई थी, अब गेहूं की फसल भी बर्बाद होने से साल भर खाने के लिए मुसीबत पैदा हो गई है। कोरांव में बदौर गांव निवासी सीताराम सिंह ने बताया कि दलहनी, तिलहनी फसल से ही बेटी की शादी की तैयारी थी। रिश्ता भी तय कर दिया था मगर अब फसल बर्बाद होने से शादी टालनी पड़ेगी।
सत्यापन कार्य में तेजी नहीं
किसानों को भारी क्षति हुई है मगर फसल की बर्बादी के आंकलन में काफी देर हो रही है। खासतौर पर राजस्व विभाग की टीमें इस काम में तेजी नहीं ला रही हैैं। किसान हलकान हैैं मगर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। राजस्व विभाग की टीमों की अफसरों की ओर से किसी प्रकार की मॉनीटरिंग भी नहीं हो रही है।