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प्रयागराज के लालगोपालगंज में जर्जर भवन में असुरक्षित हैं जीआरपी के जवान

लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन पर ब्रिटिश काल के निर्माणाधीन टिकट घर को जीआरपी के ठहरने के लिए ठिकाना बनाया गया है। आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी छोटे-छोटे तीन कमरों पर आधारित एक जर्जर भवन में रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 02:47 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 02:47 PM (IST)
प्रयागराज के लालगोपालगंज में जर्जर भवन में असुरक्षित हैं जीआरपी के जवान
लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन पर ब्रिटिश काल के निर्माणाधीन टिकट घर को जीआरपी के ठहरने के लिए ठिकाना बनाया गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। स्थानीय रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के जवानों के ठहरने के लिए कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण स्टेशन के एक जर्जर भवन को ठिकाना बनाना मजबूरी बनी है। ये जवान यात्रियों के लिए मुहैया कराई गई सुविधाओं पर निर्भर हैं। जीआरपी के नाम किए गए जर्जर भवन को पहले से ही रेलवे महकमा ध्वस्तीकरण किए जाने के लिए आदेशित किया है। फिर भी इसके लिए अब तक कोई प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी है।

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ब्रिटिशकाल में बने निर्माणाधीन टिकट घर में रहते हैं जीआरपी के सिपाही

लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन पर ब्रिटिश काल के निर्माणाधीन टिकट घर को जीआरपी के ठहरने के लिए ठिकाना बनाया गया है। आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी छोटे-छोटे तीन कमरों पर आधारित एक जर्जर भवन में रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। यात्रियों के लिए स्टेशन पर बनाए गए शौचालय को अपना शौचालय समझकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी तरह पानी की कोई उचित व्यवस्था न होने के कारण प्लेटफार्म के हैंडपंप के सहारे अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन पर तैनात उप निरीक्षक रविकांत के मातहत तीन हेड कांस्टेबल और चार कांस्टेबल की तैनाती है। 

लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन के लिए नए भवन निर्माण कराए गए लेकिन ध्वस्तीकरण के दौरान पुराना टिकट घर रह गया था। जीआरपी के ठहरने के लिए कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण उसी पुराने जर्जर टिकट घर के भवन को ही जीआरपी का आशियाना बना दिया गया है। स्टेशन अधीक्षक इरफान अहमद ने बताया कि काफी दिन पहले जीआरपी के लिए भूमि चिन्हित की गई थी, मगर अब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है। हालांकि जीआरपी के रहने वाले पुराने भवन के ध्वस्तीकरण का आदेश भी है मगर अभी तक किसी पर अमल नहीं हुआ है।


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