छात्रों में बढ़ रही मानसिक समस्या
दैनिक जागरण के कार्यक्रम हेलो डाक्टर में रविवार को शहर के मनो चिकित्सक डॉ. राकेश पासवान ने लोगों को आवश्यक टिप्स दिए। कहा कि छात्रों में मानसिक समस्या बढ़ रही है। 11 से 19 वर्ष तक के बच्चों को गाइड करने की उन्होंने जरूरत बताई।
जासं, इलाहाबाद : 11 से 19 वर्ष तक के बीच के छात्र-छात्राओं में 'आइडेंटिट वर्सेज रोल कन्फ्यूजन' की समस्या है। इस उम्र के युवा अपनी पहचान व अपने दायित्वों को खोजने का प्रयास करते हैं और समाज से इतर काम करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अभिभावकों को गाइड करने की आवश्यकता है। संभव हो तो ऐसी उम्र में मनोचिकित्सक से भी संपर्क किया जा सकता है। यह बातें रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित 'हेलो डॉक्टर' में मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार पासवान ने कही। वह पाठकों के सवाल का जवाब दे रहे थे। सवाल : जब पढ़ाई करता हूं तो नींद आने लगती है। पढ़ाई को लेकर टेंशन भी रहता है। पढ़ाई के बाद भूल भी जाता हूं।
- अजय, हंडिया व अभिषेक कुमार -छोटा बघाड़ा
जवाब : पहले सुबह ही योग करने की आदत डालें ताकि रक्त संचालन होता रहे। खाना खाने के करीब आधे घंटे बाद ही पढ़ाई के लिए बैठें। पढ़ने के पहले ग्रीन टी या चाय पी लें। सवाल : घर में टेंशन होने के चलते दिमाग हमेशा उलझन में रहती हूं। कैसे निजात मिलेगी।
- ज्योति, दारागंज व नरेश चंद्र निषाद, झूंसी
जवाब : आपको जिस बात को लेकर चिंतित हैं उस तरफ ध्यान देना पूरी तरह से बंद कर दें। अपने आप को आत्मनिर्भर बनाएं और अपने काम में व्यस्त रहें। जरूरत पड़ने पर काल्विन अस्पताल के मनोचिकित्सक से मिलें। सवाल : छोटी-छोटी बात को लेकर गुस्सा आता है। रात में नींद नहीं आती।
- नेहा, महेवा
जवाब : जब भी गुस्सा आए तो अपने मन को शांत रखें और दिमाग को दूसरी तरफ ले जाएं। सवाल : मानसिक परेशानी है। चिंता, भय व शंका से ग्रसित हूं। उपाय बताएं।
- आरके सिंह, झूंसी
जवाब : इसके लिए सिर्फ दवाओं से सुधार नहीं होगा। इसके लिए साइकोथेरेपी की आवश्यकता है। सवाल : रात में जब सोने जाता हूं तो नींद नहीं आती है। यह समस्या से दो माह से है।
- कुनाल, प्रयाग
जवाब : ऐसा काम करिए जिससे आपको थकावट आ जाए। यह कोई बीमारी नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर मनोचिकित्सक से संपर्क करें। सवाल : हमेशा तनाव में रहता हूं। पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं केंद्रित हो पाता।
- प्राशुमणि राय, मीरापुर
जवाब : यह एक सामान्य प्रकिया है। आपको इधर उधर की फालतू बातों पर ध्यान नहीं देना है। सिर्फ काम की बातों को दिमाग में रखें बाकि हटा दीजिए।