कालिंदी को मिलेगा नया जीवन, नदी किनारे पांच किमी में बनेगा ग्रीन कॉरीडोर Prayagraj News
पर्यावरण मंत्रालय ने यमुना सहित देश की नौ नदियों को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया है। इसमें नर्मदा गोदावरी महानदी लूनी सतलज ब्रह्मपुत्र कृष्णा कावेरी आदि हैं।
प्रयागराज, [प्रमोद यादव]। गंगा की तरह कालिंदी यानी यमुना नदी को भी पुनर्जीवित करने की पहल शुरू हो गई है। यमुना का पानी साफ रहे और वह जनमानस व जलीय जीवों के लिए काम आए, इसकी कवायद जारी है। इसके लिए प्रयागराज स्थिति पारि-पुनस्र्थापन वन अनुसंधान केंद्र ने पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाना शुरू कर दिया है। डीपीआर को लेकर इसी हफ्ते देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में वैज्ञानिकों की बैठक भी होगी। डीपीआर तैयार होने के बाद यमुना की निर्मलता पर काम शुरू हो जाएगा।
पर्यावरण मंत्रालय ने यमुना सहित नौ नदियों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया
इतिहास गवाह है कि नदियों के किनारे सभ्यताएं पनपी हैं लेकिन आज के परिवेश में जन दबाव इतना हो गया कि नदियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ साल पहले गंगा की हालत को देखते हुए उसके पुनर्जीवन की योजना शुरू की गई थी। उस पर अभी काम चल रहा है। अब पर्यावरण मंत्रालय ने यमुना सहित देश की नौ नदियों को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया है। इसमें नर्मदा, गोदावरी, महानदी, लूनी, सतलज, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी आदि हैं। यमुना नदी का ज्यादातर हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। वैसे यह नदी उत्तराखंड से शुरू होकर हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान से होते हुए प्रयागराज में त्रिवेणी में गिरती है। इस नदी का सबसे प्रदूषित हिस्सा दिल्ली से इटावा तक का है। उसका असर प्रयागराज तक रहता है। यह नदी फिर से पहले की तरह कलरव करते हुए बहती रहे, इसके लिए इसमें आबादी क्षेत्र का जल-मल और फैक्ट्रियों का गंदा पानी बहने से रोकना होगा। साथ ही कई अन्य कार्य करने होंगे।
कैसे निर्मल होंगी यमुना
यमुना की निर्मलता के लिए डीपीआर बना रहे पारि पुनस्र्थापन केंद्र के प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने बताया कि नदी के दोनों ओर पांच-पांच किलोमीटर तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया जाएगा। इस दायरे में आने वाली सरकारी, ग्रामसभा या किसानों की भूमि पर अधिक से अधिक पौधारोपण कराया जाएगा। साथ ही सहायक नदियों के किनारे दो किलोमीटर तक पौधारोपण किया जाएगा। यह हरियाली यमुना के लिए बायो फिल्टर का काम करेगी। वहीं नदी किनारे जहां पर बस्ती है, वहां इको पार्क और रीवर फ्रंट डेवलप किया जाएगा। इसके अलावा नदी में गिरने वाले सभी नालों का पानी शोधित होने पर ही जाने दिया जाएगा।