उत्पादों की वाजिब कीमत के लिए सरकार उपलब्ध कराए बाजार Prayagraj News
एक उत्पाद तैयार करने में दो-तीन दिन लगते हैं लेकिन कीमत मुश्किल से दो-ढाई सौ रुपये ही मिल पाता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि उत्पादों की वाजिब कीमत के लिए बाजार उपलब्ध कराए।
प्रयागराज,जेएनएन। एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) से जुड़े उद्यमियों को आम बजट से ढेरों आस है। इन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार इनके उत्पादों को बेचने के लिए बाजार मुहैया कराने की दिशा में बजट में खास प्रावधान करेगी। ताकि इन्हें इनकी मेहनत की वाजिब कीमत मिल सके। उद्यमियों को अपने उत्पाद तैयार करने के लिए साल भर आसानी से मूंज उपलब्ध हो सके, इसके लिए जल्द मूंज बैंक स्थापित हो। तमाम उद्यमियों के पास मूंज रखने का इंतजाम न होने से सालभर रोजगार करने में मुश्किलें पेश आती हैं।
नई डिजाइन उपलब्ध कराने के लिए हो इंतजाम
नैनी क्षेत्र के महेवा निवासी उद्यमी चांद का कहना है कि मूंज के उत्पाद तैयार करने के लिए उन्हें नई डिजाइन उपलब्ध नहीं हो पाती है। बाजार में हर प्रकार के नए कलर भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। सरकार को बजट में इन चीजों के लिए भी प्रावधान करना चाहिए। मूंज खरीदने के लिए भी दीपावली के अवसर पर ही 10 दिन का समय मिलता है। इस अवधि में जिन उद्यमियों ने मूंज का स्टॉक नहीं कर लिया, उन्हें दिक्कतें होती हैं।
मंूज बैंक की जल्द हो व्यवस्था
महेवा की रहने वाली लक्ष्मी का कहना है कि जो उत्पाद बनाती हैं, उसका वाजिब दाम नहीं मिल पाता है। क्योंकि ओडीओपी उत्पादों के लिए उचित बाजार नहीं है। एक उत्पाद तैयार करने में दो-तीन दिन लगते हैं, लेकिन कीमत मुश्किल से दो-ढाई सौ रुपये ही मिल पाता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि उत्पादों की वाजिब कीमत के लिए बाजार उपलब्ध कराए।
आसानी से लोन मिलने का हो प्रावधान
महेवा पूरब पट्टी के रहने वाले अफसार अहमद का कहना है कि बैंकों से लोन मिलने में बहुत दिक्कत होती है। 10 बार फार्म भरवाने के बावजूद सिर्फ आश्वासन मिलता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह लोन प्रक्रिया को सरल बनाए, जिससे उद्यमियों को जरूरत पर आसानी से लोन उपलब्ध हो सके। मेले और प्रदर्शनियों में सभी उद्यमियों को स्टॉल लगाने का अवसर मिले, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
मेहनत के बराबर तो मिले दाम
महेवा पूरब पट्टी की रहने वाली आब्दा का कहना है कि उत्पादों के सही दाम मिलने के लिए सरकार को बजट में प्रावधान करना चाहिए। उनका कहना है कि एक उत्पाद तैयार करने में दो-तीन दिन लग जाते हैं, लेकिन बाजार में उसे बेचने पर दो-तीन सौ रुपये ही मिल पाते हैं। मूंज के स्टॉक के लिए मूंज बैंक की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे जिन उद्यमियों के पास सालभर मूंज रखने का इंतजाम नहीं है। उन्हें रोजगार के लिए आसानी से मूंज उपलब्ध होता रहे।