जिले में सरकारी गोलियां उगल रहे हैं अवैध हथियार Prayagraj News
शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते पिछले महीने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा था। आदेश था कि जिले में लाइसेंसी शस्त्रों की दुकानों और लाइसेंस धारकों से कारतूसों का हिसाब लें।
प्रयागराज,जेएनएन । अवैध असलहों पर रोक लगाने में पुलिस और क्राइम ब्रांच नाकाम हैं मगर बड़ी बात तो यह कि इन हथियारों में इस्तेमाल हो रहे कारतूस तो सरकारी कारखाने में ही बने होते हैं। यानी सरकारी कारतूस ही हत्या और लूटपाट की घटनाओं में प्रयुक्त हो रहे हैैं। पिछले दिनों शासन से आए जांच के आदेश के बावजूद कारतूस आसानी से अपराधियों तक पहुंच रहे हैैं।
पिस्टल से लेकर एके 47 तक अवैध रूप से बनाकर बेच रहे तस्कर
पिस्टल, तमंचे से लेकर बंदूक और एके 47 तक अवैध रूप से बनाकर बेची जा रही है लेकिन उनमें कारतूस सरकारी फैक्ट्रियों में ही बने इस्तेमाल होते हैैं। अवैध हथियार मुंगेर और खंडवा समेत अन्य स्थानों से तस्करी के जरिए लगातार आ रहे हैैं जिसके बारे में दैनिक जागरण मेंपिछले दिनों 'खिलौनों की तरह मिल रहे हैैं कट्टïे और पिस्टलÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। सरकारी कारखानों में बने 315, 312, प्वाइंट 32 बोर के कारतूसों का अपराधियों और गिरोहों तक पहुंचना चिंता की बात है।
शासन के आदेश का नहीं हो रहा पालन
शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते पिछले महीने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा था। आदेश था कि जिले में लाइसेंसी शस्त्रों की दुकानों और लाइसेंस धारकों से कारतूसों का हिसाब लिया जाए। खोखे जमा करने पर ही कारतूस देने के नियम का पालन हो रहा है या नहीं। दुकानों के रजिस्टर चेक किए जाएं। पुलिस ने आदेश पर अमल करते हुए जांच की लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी खामियां हैैं कि कारतूसों काअवैध हथियार धारकों तक पहुंचना थम नहीं रहा है। लाइसेंस धारकों को सलाना सौ से दो सौ तक कारतूस दुकानों से मिलते हैैं। दुकानों और लाइसेंस धारकों के जरिए ही तीन गुना तक कीमत पर अपराधियों को कारतूस बेच दिए जा रहे हैैं। एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने इस पर जांच और कार्रवाई का आदेश जारी किया है।
पुलिस लाइन से भी होता रहा है खेल
सरकारी कारतूस दुकानों और शस्त्र धारकों से ही नहीं, पुलिस के शस्त्रागार से भी चोरी-छिपे सप्लाई होते रहे हैं। कुछ साल पहले प्रयागराज और चंदौली समेत कई पुलिस लाइन से कारतूसों के हिसाब में गड़बड़ी कर बाहर सप्लाई का खुलासा हो चुका है। तब कई पुलिसकर्मियों पर मुकदमा और गिरफ्तारी भी की गई थी। यही नहीं, सीतापुर मुख्य डिपो से भी करीब एक दशक पहले चोरी से कारतूस सप्लाई करने का मामला खुला था।