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ईद-उल-अजहाः परिवार के सदस्यों से कम नहीं 'सुल्तान और शेरू' की हैसियत

ईद-उल-अजहा यानी बकरीद में कुर्बानी के लिए बकरों की हैसियत महज एक पशु की नहीं, बल्कि उनको परिवार का सदस्य माना जाता है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 05:27 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 04:06 PM (IST)
ईद-उल-अजहाः परिवार के सदस्यों से कम नहीं 'सुल्तान और शेरू' की हैसियत
ईद-उल-अजहाः परिवार के सदस्यों से कम नहीं 'सुल्तान और शेरू' की हैसियत

इलाहाबाद (अजहर अंसारी)। ईद-उल-अजहा यानी बकरीद में कुर्बानी के लिए बकरों की हैसियत महज एक पशु की नहीं, बल्कि उनको परिवार का सदस्य माना जाता है। खासकर साल भर पाले गए बकरों की खातिरदारी में लोग कोई कसर नहीं छोड़ते। बकरों के नाम उनके स्वभाव और शारीरिक संरचना के आधार पर रखे जाते हैं। इनके खाने-पीने में भूसी, चोकर के साथ ताजे व सूखे फल, मेवे घर में बने स्वादिष्ट व्यंजन भी शामिल होते हैं। बकरीद में कुर्बानी दरअसल पशु की नहीं बल्कि लोगों के जज्बातों और बकरों पर किए गए धन की भी होती है। नगर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की बात करें तो यहां पर विभिन्न प्रजाति के बकरे बकरीद के लिए पाले जाते हैं।

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ऐसे तैयार किए जाते कुर्बानी के बकरे

करेली के सैयद शाहफिल बताते हैं कि वह हर साल कई पशु कुर्बानी के लिए तैयार करते हैं। इन बकरों के लिए बच्चे पालने जैसी मेहनत की जाती है। घर में बकरे की हैसियत हमसे भी ज्यादा होती है। इन्हें दाल-रोटी, सब्जी, गेहूं, बाजरा, चीनी और मेवा सहित कई चीजें खिलाई जाती हैं। इनके पास सुल्तान, शेरू और हिरन नाम के बकरे हैं। 26 माह के सुल्तान का वजन 140 किलो, शेरू 130 और हिरन 100 किलो है। गर्मी में कूलर, सर्दी में हीटर और बैठने के लिए तख्त और गद्दे होते हैं। अकबरपुर के सरवर, गंगागंज के चीनू, चौक के शहीद और सब्जीमंडी के गुलाम सरवर जैसे अनेकों नाम हैं जो बकरे पालकर एक या दूसरे साल कुर्बानी कराते हैं।

कुर्बानी उसकी जिससे मोहब्बत

अकबरपुर में नूरी मस्जिद के पेश इमाम मौलाना असलम मिस्बाही का कहना है कि अल्लाह के नाम पर उस चीज की कुर्बानी करते हैं जो हमारी पसंद की है, जिससे हमें मोहब्बत है। यही कारण है कि लोग जानवरों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह पालते हैं और न चाहते हुए भी सिर्फ अल्लाह के हुक्म से कुर्बान कर देते हैं।

ईद-उल-जुहा की नमाज आज 

पूरे उत्तर प्रदेश में ईद उल जुहा (बकरीद) की नमाज की तैयारी पूरी कर ली गई है। ज्यादातर ईदगाहों में बुधवार को नमाज सुबह आठ बजे के करीब होगी। विभिन्न ईदगाहों मौलाना और मुफ्ती नमाज पढ़ाएंगे। नमाज को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा की पूरी तैयारी कर ली है। शासन ने जिले-जिले नमाज होने वाली मस्जिदों का निरीक्षण कर सुरक्षा के निर्देश दिए।


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