गंगा और यमुना के विकराल होने से शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ा Prayagraj News
बांधों से छोड़े गए पानी का असर गंगा और यमुना नदियों में नजर आ रहा है। गंगा और यमुना में पानी की रफ्तार अब भी दो सेमी प्रति घंटा है।
प्रयागराज, जेएनएन। खतरे के निशान से लगभग आधा मीटर ऊपर बह रहीं गंगा और यमुना अब विकराल रूप धारण कर चुकी हैैं। उफनाईं दोनों नदियां से शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कई और मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया है। अब तक शहर के 38 और लगभग डेढ़ सौ गांव बाढ़ की चपेट में हैैं। लगभग साढ़े तीन लाख लोग प्रभावित हैैं।
दोनों नदियों के पानी की रफ्तार बढ़ ही रही है
बांधों से छोड़े गए पानी का असर गंगा और यमुना नदियों में दिखाई देने लगा है। गंगा और यमुना में पानी की रफ्तार अब भी दो सेमी प्रति घंटा है। गुरुवार दोपहर गंगा फाफामऊ में 85.10 मीटर और यमुना नैनी में लगभग 85 मीटर तक पहुंच गई थीं। एक दर्जन बाढ़ राहत शिविरों में तीन हजार से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं।
मंडलायुक्त ने लिया जायजा
राजस्थान और मध्य प्रदेश के बांधों से छोड़़े गए पानी से उफनाई गंगा यमुना कहर ढाने लगी हैं। खतरे के निशान को पार कर चुकीं दोनों नदियों के बाढ़ के पानी की चपेट में डेढ़ सौ से ज्यादा गांव आ गए हैं। शहर के लगभग 38 मोहल्लों में पानी घुस गया है। शहर और देहात के लगभग साढ़े तीन लाख लोग प्रभावित हो गए हैैं। लगभग 42 हजार एकड़़ फसलें जलमग्न हो गई हैैं। सैकड़ों पशु बह गए। हजारों मकान भी। प्रशासन का अनुमान है कि 16 हजार मकान डूब चुके हैैं। शहर में बनाए गए दस राहत शिविरों में लगभग तीन हजार लोग शरण लेकर रह रहे हैैं। जिला प्रशासन ने टीमें गठित कर राहत कार्य तेज करा दिया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व जल पुलिस की टीमें लगाई गई हैैं। गुरवार को मंडलायुक्त डॉ आशीष कुमार गोयल ने नैनी और झूंसी इलाके का जायजा लिया।
रात में अरैल घाट का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम
जिला अधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी बुधवार रात लगभग पौने दस बजे अरैल घाट का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने कुंभ के दौरान बने जेटी के पास हो रहे कटान को भरने के लिए मातहतों को निर्देश दिया। लगभग 15 मिनट संबंधित अफसरों को समझाने के बाद जिलाधिकारी वहां से निकल गए।
मठ आश्रमों में भरा बाढ़ का पानी, बेघर हुए संत महात्मा
बाढ़ की जद में इसके तटीय क्षेत्रों में बसे मठ मंदिर भी आ गए हैं। इससे आश्रमों में रहने वाले संत महात्मा और वेदपाठी बेघर हो रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का इनकी समस्या से कोई सरोकार नहीं रह गया है। बाढ़ के पानी ने झूंसी स्थित टीकरमाफी आश्रम को अपनी मेंं चपेट में ले लिया है। अचानक आई इस विपदा से संत महात्माओं पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। आश्रम में रखे सामानों को जल्दी-जल्दी हटवाना पड़ा। गोशाला में पानी भर गया तो गायों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा। आश्रम का निचला हिस्सा पूरी तरह जलमग्न हो गया है। महंत हरिचैतन्य ब्रह्मचारीका कहना हैं कि बाढ़ से उन सभी को बेघर होना पड़ा है लेकिन, कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुधि लेने नहीं आए।
योगी सत्यम के आश्रम में भी बाढ़ का पानी
झूंसी में योगी सत्यम के गंगा तट के निचले हिस्से पर बने आश्रम, राम लोचन ब्रह्मचारी आश्रम के वेद विद्यालय में भी बाढ़ का पानी भर गया है। कैलाश टेकरी आश्रम, गंगोली शिवाला, योगानंद आश्रम, प्रभुदत्त ब्रह्मचारी आदि के आश्रमों में भी बाढ़ का पानी पहुंच गया है। इसके अलावा झूंसी के कोहना गांव में सेतुआ आश्रम, हंस कुटी समेत कई मकान बाढ़ की जद में आ गए हैं। वहीं छतनाग गांव स्थित महर्षि सदाफलदेव समाधि स्थल में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। आश्रम में रह रहे स्वामी हृदयानंद ने बताया कि आश्रम वासियों को नाव से सड़क पर आना पड़ रहा है।
एक दर्जन ट्रांसफार्मर पानी में डूबे
शहर में बाढ़ के कारण दर्जनभर ट्रांसफार्मर पानी में डूब गए। सलोरी नाले में एक, छोटा बघाड़ा में चार व गंगानगर में एक ट्रांसफार्मर डूब गया। अधीक्षण अभियंता आरके सिंह ने बताया कि सलोरी नाला व छोटा बघाड़ा से दो ट्रांसफार्मर शिफ्ट भी कर दिए गए। दारागंज, राजापुर, करैलाबाग आदि इलाकों में भी ट्रांसफार्मर डूब गए। एसई ने बताया कि जिन इलाकों में पानी नहीं पहुंचा है, वहां आपूर्ति दी जा रही है मगर जहां घर डूब गए हैैं वहां आपूर्ति एहतियातन ठप करा दी गई है। गंगानगर, बेली, दारागंज, बघाड़ा के कई मोहल्लों में आपूर्ति ठप है। दूसरी ओर बुधवार को चलाए गए अभियान के दौरान जिले भर में लगभग छह सौ बकाएदारों के कनेक्शन काटे गए। 50 से ज्यादा बिजली चोरी के मुकदमे भी दर्ज कराए गए।
नाव को लेकर रही मारामारी
शहर तीन तरफ से बाढ़ से घिरा हुआ है। एक बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित है। ऐसे में बाढ़ क्षेत्र में आवागमन के लिए पर्याप्त संख्या में नाव न होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। लोगों को घंटों नाव का इंतजार करना पड़ रहा है। राजापुर का गंगानगर इलाके में बड़ी संख्या में लोग बाढ़ प्रभावित हैं। यहां लोगों को घंटों नाव के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। नाव किनारे आने पर लोग टूट पड़ रहे थे। करेली और उसके आसपास के इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं। गौस नगर, जेके आशियाना, जेके नगर, गड्ढा कालोनी, जाफरी कालोनी, करेलाबाग आदि में सैकड़ों मकान डूब गए। यहां के हजारों लोग दिन भर नाव न मिलने पर प्रशासन को कोसते नजर आए। लोगों लेखपाल से नाव कम संख्या में होने की शिकायत भी की। लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ।