कान्हा उपवन की जमीन में फंसा पेच
सदर तहसील क्षेत्र के शेरपुर गांव में कान्हा उपवन की भूमि मामले में पेच फंस गया है। शेरपुर में छह हेक्टेयर में चारागाह की मिली भूमि को लेकर विधिक राय ली जा रही है। डीपीआर बनाने के लिए हुए टेंडर में छह एजेंसियों ने हिस्सा लिया।
जासं, इलाहाबाद : कई बार अफसर ऐसी योजना बना लेते हैं, जिसमें बाद में कोई न कोई पेच फंस जाता है। ऐसी ही योजना कान्हा उपवन की जमीन को लेकर बनी है। सदर तहसील क्षेत्र के शेरपुर गांव में कान्हा उपवन के लिए करीब डेढ़-दो महीने पहले नगर निगम को हस्तानांतरित जमीन में पेच फंस गया है। दरअसल यह जमीन चारागाह की है, जिसका भू-उपयोग परिवर्तन हुए बगैर जिला प्रशासन ने निगम को ट्रांसफर कर दिया है। अब मामले में विधिक राय ली जा रही है।
कान्हा उपवन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसलिए इसे लेकर यहां भी कई महीने से कवायद चल रही है। कान्हा उपवन में आवारा सांड़, गायों के रहने के लिए स्थान, चारे के लिए हरियाली, गोबर गैस प्लांट, इलाज के लिए डिस्पेंसरी आदि की व्यवस्था के लिए करीब 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर पहले ही शासन को भेजा जा चुका है। वहीं, डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए निविदा जारी हो चुकी है। शुक्रवार को टेक्निकल बिड खोली गई, जिसमें छह एजेंसियों ने भाग लिया। दो-तीन दिनों में एजेंसी का चयन होने की उम्मीद है। बहरहाल, शेरपुर में कान्हा उपवन के लिए जिला प्रशासन ने छह हेक्टेयर जमीन जो निगम को मुहैया करवाई है, वह चारागाह की होने से पेच फंस गया है।
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1000-1500 पशुओं की होगी क्षमता : प्रस्तावित कान्हा उपवन की क्षमता 1000-1500 पशुओं की होगी। बहरहाल, रामबाग और बेली कांजी हाउस में करीब डेढ़ सौ पशुओं के रखने की क्षमता है।
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जमीन में अड़चन नहीं है लेकिन प्रोजेक्ट बड़ा होने के कारण हर पहलुओं पर मंथन हो रहा है। विधिक राय भी ली जा रही है। अगर बात नहीं बनी तो एडीए बोर्ड की बैठक अथवा शासन से स्वीकृति ली जाएगी।
-डॉ. धीरज गोयल, पशुधन अधिकारी।