चार साल पहले अगवा हुई रचना का दोस्त ही निकला कातिल, दो गिरफ्तार Prayagraj News
एसटीएफ सलमान की तलाश में जुट गई। रविवार रात एसटीएफ ने दारागंज पुलिस के साथ घेरकर सलमान को उसके दोस्त लकी पंडा के साथ पकड़ लिया।
प्रयागराज,जेएनएन। दारागंज इलाके से चार साल पहले अगवा 19 साल की रचना शुक्ला की हत्या के बाद लाश नवाबगंज के आगे पेट्रोल डालकर जला दी गई थी। हाईकोर्ट से जवाब तलब किए जाने पर सक्रिय एसटीएफ ने रचना के दोस्त समेत दो कातिलों को गिरफ्तार कर कत्ल का पर्दाफाश किया है। फॉरच्यूनर और कार समेत चार गाडिय़ां भी एसटीएफ ने सीज की हैैं।
रचना की मां ने आरोपित के खिलाफ दर्ज कराया था नामजद मुकदमा
दारागंज में वेणी माधव मंदिर के पास गली में रहने वाली रचना शुक्ला 16 अप्रैल 2016 को लापता हो गई थी। उसकी मां उमा शुक्ला ने दारागंज के ही सलमान और उसके साथियों के खिलाफ अपहरण का केस लिखाया था। पुलिस ने जांच की लेकिन रचना का कुछ पता नहीं चल सका। करीब दस दिन पहले मां उमा ने बेटी की सुरक्षित बरामदगी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब किया गया। एसटीएफ प्रयागराज के एएसपी नीरज पांडेय ने इसमें जांच के लिए टीम को लगाया। पता चला कि रचना के लापता होने के दूसरे रोज 17 अप्रैल की सुबह प्रयागराज की सीमा पर प्रतापगढ़ के हथिगहां में सड़क किनारे किसी लड़की की अधजली लाश मिली थी। यह जानकारी मिलने पर एसटीएफ सलमान की तलाश में जुट गई। रविवार रात एसटीएफ ने दारागंज पुलिस के साथ घेरकर सलमान को उसके दोस्त लकी पंडा के साथ पकड़ लिया।
बेइज्जती से तिलमिलाया था सलमान
पूछताछ में पता चला कि सलमान की रचना से साल भर पहले दोस्ती हो गई थी। उसने रचना को अपने नाम पर स्कूटी खरीदकर दी। मगर वह चाहती थी कि स्कूटी का रजिस्ट्रेशन उसके नाम पर हो। इसी बात पर वह सलमान से नाराज हो गई। उसके खिलाफ थाने में छेडख़ानी का केस लिखा दिया था। उसे सबके सामने अपशब्द बोलकर बेइज्जत करने लगी। इसी गुस्से में सलमान ने रचना की हत्या के लिए उससे फिर दोस्ती गांठ ली। उसे किसी तरह मनाकर मिलने के लिए बुलाया।
यूं किया था कत्ल
16 अप्रैल 2016 को रचना अपनी स्कूटी पर सलमान से मिलने आई। उसकी स्कूटी प्रयाग स्टेशन के स्टैैंड में खड़ी कर सलमान उसे अपनी बाइक पर बैठाकर बख्शी खुर्द स्थित घर के बेसमेंट में ले गया। वहां कमरे में सलमान के ममेरे भाई हंजफ और दोस्त लकी पंडा को देख वह भागने लगी तो उसे पकड़कर हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। फिर चाकू से गर्दन रेतकर हत्या कर दी। लाश ठिकाने लगाने के लिए सलमान ने अपने मामा शरीफ को फोन किया। शरीफ फॉरच्यूनर लेकर आया। कमरे में खून साफ कर दिए। बदबू छिपाने के लिए अखबार जला दिए।
पांच घंटे तक लाश लेकर भटकते रहे
जूट की बोरी में रचना की लाश भरकर फॉरच्यूनर में लादकर सलमान और उसके मामा शरीफ समेत चारों लोग पहले नैनी की तरफ गए। इरादा था कि शव को यमुना में फेंक दिया जाएगा लेकिन पांच घंटे तक भटकने के बाद भी उन्हें मौका नहीं मिला। इसके बाद वे नवाबगंज की तरफ चल दिए। वहां भी गंगा में फेंकने का मौका नहीं मिला तो प्रयागराज की सीमा के पास सड़क किनारे लाश फेंक दी। लौटकर सलमान फिर बाइक से बोतल में पेट्रोल डालकर गया और शव को जला दिया ताकि शिनाख्त नहीं हो सके। बाद में रचना की स्कूटी सोरांव के एक व्यक्ति के गैराज में खड़ी कर दी थी। कत्ल का पर्दाफाश होने के साथ ही मां उमा की आस टूट गई। बेटी की याद में वह दिन भर रोती बिलखती रहीं।