इलाहाबाद के ननका ने कोतवाली पर तिरंगा फहराकर सर गर्व से ऊंचा कर दिया था, अंग्रेजों की गोली से वीरगति पाई
ननका ने कोतवाली के ऊपर लहरा रहे यूनियन जैक को उतारकर उसमें तिरंगा झंडा चढ़ा दिया। यह देख नीचे खड़े लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाने लगे। ऐसे में बलूच रेजिमेंट के लोगों ने फायर कर दिया इससे वे शहीद हो गए।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बात वर्ष 1942 की है। उस दौरान ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश भर में आवाज बुलंद थी। अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए हमारे देश के क्रांतिकारी बेताब थे। आम भारतीय उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। उनकी सहायता कर रहे थे। आपको तो पता ही है कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र इलाहाबाद (अब प्रयागराज) भी था। यहां आए दिन अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनती थी। फिर उसी के अनुरूप देश भर में आंदोलन चलाया जाता था। यहां इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि इलाहाबाद जनपद के सैदाबाद में 11 अगस्त 1942 को अंग्रेजों व भारतीयों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी। इस लड़ाई में चार भारतीय शहीद हो गए थे।
ननका ने गमछे में तिरंगा छिपाकर कोतवाली में प्रवेश किया था
यह खबर 12 अगस्त को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) शहर पहुंची तो जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगा। कोतवाली को लोगों ने घेर लिया था। इसी दौरान बक्शी के रहने वाले ननका जी ने जो कारनामा किया उससे भारतीयों का सर गर्व से ऊंचा हो गया। वह कोतवाली में सफाई कर्मचारी थे। उन्होंने संगीनों के साए में घिरी कोतवाली में प्रवेश किया। वे मुंह में बंधे अपने गमछे के अंदर तिरंगा झंडा छुपाकर अंदर ले गए।
तिरंगा लहराने के बाद अंग्रेजों की गोली से हुए शहीद
ननका ने कोतवाली के ऊपर लहरा रहे यूनियन जैक को उतारकर उसमें तिरंगा झंडा चढ़ा दिया। यह देख नीचे खड़े लोगों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाने लगे। ऐसे में बलूच रेजिमेंट के लोगों का ध्यान कोतवाली के ऊपर गया तो उन्होंने फायर कर दिया, इससे वे शहीद हो गए।
शिलापट्ट पर उनकी शौर्य गाथा अंकित है : वीरेंद्र पाठक
भारत भाग्य विधाता के चेयरमैन वीरेंद्र पाठक बताते हैं कि प्रयागराज के शहीदों से आमजन को जोडऩे के लिए टीम शहीद वाल में ननका से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसके लिए दो साल पूर्व अस्थाई व्यवस्था की गई। पुलिस अधिकारियों की सहमति पर शिलापट्ट में उनकी शौर्य गाथा अंकित है।