जीवित किसान पिता की मौत दिखा बन बैठा शिक्षक, ऐसे पकड़ा गया
जीवित किसान पिता की मृत्यु दिखाकर फर्जी तरीके से एक व्यक्ति ने आश्रित कोटे में शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली। मामला पकड़ा गया है।
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर एक युवक 18 साल से शिक्षक की नौकरी करता रहा। शिकायत के बाद जांच में राजफाश होने पर बीएसए ने शिक्षक की सेवा समाप्त करते हुए उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने तथा नियुक्ति की तिथि से अब तक लिए गए वेतन की वसूली का आदेश दिया है।
यह है मामला
विकास खंड मऊआइमा के प्राथमिक विद्यालय में ज्ञानचंद्र त्रिपाठी को पिता उमाकांत त्रिपाठी के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे में नवंबर 1995 में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली थी। मामले में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत पिछले वर्ष अक्टूबर माह में होने पर बीएसए ने जांच शुरू कराई। जांच में राजफाश हुआ कि ज्ञानचंद्र की सेवा पुस्तिका के आधार पर उसके पिता की नियुक्ति विकास खंड करछना के प्राथमिक विद्यालय बड़ौहा तथा उनकी मृत्यु 25 जून 1982 दर्ज थी।
खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट
खंड शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सेवा पुस्तिका में ज्ञानचंद्र ने जिस विद्यालय में पिता की नियुक्ति का जिक्र किया है, वह विद्यालय करछना में नहीं है। इसके बाद बीएसए ने जनवरी 2018 में ज्ञानचंद्र का वेतन रोक दिया। मामले की जांच के लिए मई 2018 में दो सदस्यीय समिति गठित की गई। समिति के सदस्यों ने ज्ञानचंद्र त्रिपाठी के गांव हथिगन, पोस्ट-पुरवा खास, विकास खंड चाका, करछना पहुंचकर उनके परिवार तथा आसपास के लोगों से पूछताछ की। इसमें पता चला कि उमाकांत त्रिपाठी किसान थे। यह भी सामने आया कि उनकी मृत्यु पांच जुलाई 2013 को हुई थी। इस बीच बीएसए ने पत्र जारी कर ज्ञानचंद्र से पिता की नियुक्ति, पेंशन से संबंधित कागजातों के साथ स्पष्टीकरण मांगा।
मूल अभिलेख के आग से जलने का बताया बहाना
लगातार पत्राचार के बाद ज्ञानचंद्र ने लिखित बयान दिया कि उसके अस्थायी निवास पर कई वर्ष पूर्व आग लगने के कारण सभी मूल अभिलेख जल गए। इस फर्जीवाड़े का राजफाश होने पर बीएसए संजय कुशवाहा ने 26 दिसंबर को ज्ञानचंद्र की सेवा समाप्त करने तथा वेतन की वसूली का आदेश दिया। खंड शिक्षा अधिकारी मऊआइमा को ज्ञानचंद्र के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर एफआइआर दर्ज करानेे को कहा है।