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कौशांबी में पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण में 47 लाख की हेराफेरी

बसपा शासनकाल में चायल तहसील के चौराडीह गांव के पास कठरा गांव में महामाया पॉलीटेक्निक ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कॉलेज बनाने की स्वीकृति मिली।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 03:09 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 03:09 PM (IST)
कौशांबी में पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण में 47 लाख की हेराफेरी

प्रयागराज : कौशांबी जनपद के चायल तहसील क्षेत्र के कठरा गांव में बनाए महामाया पॉलीटेक्निक कॉलेज के निर्माण में जमकर हेराफेरी की गई है। छह साल बीतने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ। आधा-अधूरा कॉलेज ही पॉलीटेक्निक को हैंडओवर कर दिया गया। इस हालत में वहां पर कॉलेज का संचालन शिक्षकों और बच्चों के लिए परेशानी भरा है। पिछले दिनों पैक्सफेड के जेई ने जांच की तो 47 लाख का खेल पकड़ा गया। कई अन्य कार्य अधूरे पाए गए हैं। इसकी रिपोर्ट उन्होंने उच्च अधिकारियों को सौंप दी है। जल्द ही ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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दरअसल, बसपा शासनकाल में चायल तहसील के चौराडीह गांव के पास कठरा गांव में महामाया पॉलीटेक्निक ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कॉलेज बनाने की स्वीकृति मिली। वहां पर पॉलीटेक्निक के निर्माण के लिए 10.28 करोड़ रुपये, पुरुष हॉस्टल निर्माण के लिए 1.41 करोड़ रुपये और फर्नीचर निर्माण के लिए 78.50 लाख रुपये शासन से दिए गए हैं। निर्माण एजेंसी पैक्सफेड ने निर्माण का ठेका किया। तीन साल में ठेकेदार ने निर्माण कार्य पूरा करने का दावा किया और कहा कि इसका हस्तांतरण कर किया जाए।

जब पॉलीटेक्निक के अधिकारी वहां पहुंचे तो देखा कि तमाम कार्य अधूरे हैं। उन्होंने इसे लेने से इंकार दिया। उसके बाद से वहां पर कोई काम नहीं हुआ और भवन वैसे ही अधूरा रहा। कुछ महीने पहले उसका हस्तांतरण पॉलीटेक्निक को इस शर्त पर हुआ कि ठेकेदार अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करेगा। उसी दौरान पैक्सफेड ने जेई राकेश कुमार से जांच कराई गई। पॉलीटेक्निक निर्माण के लिए नामित जेई हरेश कुमार से उन्होंने रिकार्ड मांगे।

कई बार कहने के बाद उन्होंने 13 जुलाई को रिकार्ड दिए। जेई राजेश कुमार ने भौतिक सत्यापन किया और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दिया। उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि निर्माण करा रही कंपनी तिवारी कंस्ट्रक्शन को 47.29 लाख रुपये का भुगतान किया लेकिन काम नहीं हुआ। उसमें करीब पांच लाख ईंट, तीन लाख की सीमेंट, करीब चार लाख सरिया सहित अन्य सामग्री आई ही नहीं। हालात यह है कि ठेकेदार और जेई ने अनियमितता बरती है। अब मामला प्रकाश में आने के बाद अधिकारी सक्रिय हुए हैं। हॉस्टल अधूरा, छात्र और शिक्षक परेशान :

पॉलीटेक्निक कॉलेज परिसर का हॉस्टल भी अधूरा है। ठेकेदार कई साल बीतने के बाद भी पैक्सफेड इसका निर्माण 80 फीसद बता रहा है। ऐसे हालात में वहां पर कोई भी छात्र नहीं रह रहा है। कॉलेज से पांच से आठ किलोमीटर दूर किराए पर कमरा लेकर रहना पड़ रहा है। चूंकि इसे चायल तहसील से दूर गांव में बनाया गया है। इस गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता भी सही सलामत नहीं है। उखड़े रास्ते होकर यहां तक जाना होता है इसलिए जिला स्तर के अधिकारी भी जांच को नहीं जाते हैं। इसी का फायदा उठाकर ठेकेदार ने घटिया क्वालिटी का निर्माण कराया। दूसरे पॉलीटेक्निक कॉलेज में बच्चों की संख्या बढ़ी थी इसलिए इसे शुरू करना मजबूरी थी। कुछ शर्तों के साथ इसे ले लिया लेकिन ठेकेदार के काम से हम बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। अधूरे कार्य को पूरा कराने के लिए कई बार पैक्सफेड को पत्र लिया ठीक नहीं कराया जा रहा है। इससे शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है। साथ ही शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है।

- दीपक कुमार, ¨प्रसिपल, महामाया पॉलीटेक्निक, कठरा।


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