Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खेल-खेल में भौतिकी का मर्म सिखा देते थे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चौथे सर संघचालक रज्जू भैया

    14 जुलाई को प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) की पुण्य तिथि है। उनसे जुड़े संस्मरणों को शब्दों में समेटना आसान नहीं पर जो बात उन्हें सबसे विरल बनाती है वह है उनकी मेधा व दया भाव।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Mon, 13 Jul 2020 11:14 PM (IST)
    खेल-खेल में भौतिकी का मर्म सिखा देते थे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चौथे सर संघचालक रज्जू भैया

    प्रयागराज [अमलेंदु त्रिपाठी]। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के चौथे सर संघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) की कर्मभूमि संगमनगरी में उनसे जुड़े संस्मरणों को शब्दों में समेटना आसान नहीं है, पर जो बात उन्हें सबसे विरल बनाती है, वह है उनकी मेधा और दया भाव। 'स्पेक्ट्रोस्कोपी' से एमएससी करने वाले रज्जू भैया इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रांगण में लॉन टेनिस खेलते हुए भी छात्रों को भौतिकी का मर्म सिखा देते थे। सहपाठियों तथा विद्यार्थियों को मदद के उनके किस्से अब भी याद किए जाते हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    14 जुलाई को रज्जू भैया की पुण्य तिथि है। उत्तर प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र सिंह गौर भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उनके शिष्य रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन कक्षा में उनके पास किताब नहीं थी। समस्या बताई तो पलक झपकते ही समाधान हो गया। उनके हाथ में किताब थी। यह गुरुदक्षिणा डॉ. गौर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रज्जू भैया स्मृति व्याख्यान कक्ष बनवाकर दी। बकौल डॉ गौर वह समय के ऐसे पाबंद थे कि कुछ अवसरों पर शाखा के गणवेश में ही कक्षा में पहुंच गए।

    ...मुझे एक ही रज्जू मिला है : शाहजहांपुर में 29 जुलाई 1922 को जन्मे रज्जू भैया 1939 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय आए और बीएससी व एमएससी की उपाधि हासिल की। फिर 17 जुलाई 1943 को भौतिक विज्ञान विभाग में लेक्चरर नियुक्त हुए और यहीं विभागाध्यक्ष भी बने। उनकी विलक्षण प्रतिभा देख डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने चाहा था कि वह न्यूक्लियर फिजिक्स में अनुसंधान करें। यह आमंत्रण डा. भाभा ने उनके गुरु गोलवलकर को दिया। तब गुरु जी ने डा. भाभा से कहा-आपको हजारों वैज्ञानिक मिल जाएंगे, मगर मुझे एक ही रज्जू मिला है।

    अनंदा भवन कर दिया दान : रज्जू भैया ने शहर के सिविल लाइंस में 26 पार्क रोड स्थित अपने वृहद निवास (अनंदा भवन) को भी संघ कार्य के लिए दान कर दिया। उनके पिताजी ने रज्जू भैया के गृहस्थ जीवन के लिए बनवाया था, लेकिन रज्जू भैया ने राष्ट्र प्रेम को प्राथमिकता दी।

    सहज ही दे दी विदेशी रायफल : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी के पास भी रज्जू भैया से जुड़ी यादों का खजाना है। वह बताते हैैं कि आपात काल के दौरान रज्जू भैया ने प्रो. गौरव कुमार के छद्म नाम से देशभर में प्रवास किया था। डा. गौर इसमें यह जानकारी भी जोड़ते हैैं कि तब वह फौजी की वेशभूषा में रहते थे। मुरार जी के पिता शारदा प्रसाद त्रिपाठी को बात की ही बात में रज्जू भैया ने 1955 में अपनी विदेशी राइफल दान कर दी थी।