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बाढ़ के डर से फिर उड़ी लोगों की नींद

इलाहाबाद : गंगा और यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर ने एक बार फिर लोगों की नींद उड़ा दी है। उन्हें तीन साल पहले की बाढ़ याद आ रही है जब कई दिनों तक राहत शिविरों में रहना पड़ा था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 03:21 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 03:21 PM (IST)
बाढ़ के डर से फिर उड़ी लोगों की नींद

जागरण टीम, इलाहाबाद : गंगा और यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर ने एक बार फिर लोगों की नींद उड़ा दी है। शहर से लेकर कई गांवों में तीन साल पहले जिले के तमाम हिस्सों में बाढ़ का पानी घुसने से खलबली मच गई थी। वायुसेना के हेलीकाप्टरों के जरिए मदद पहुंचानी पड़ी थी। राहत शिविर खोले गए थे।

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केन और बेतवा के पानी से यमुना का जलस्तर बढ़ ही रहा था अब चंबल का भी पानी आने से नदी में उफान शुरू हो गया है। गंगा में भी उत्तराखंड में हुई बारिश और हरिद्वार बैराज व नरोरा डैम का पानी छोड़े जाने से जलस्तर बढ़ रहा है। सोमवार को फाफामऊ में सेमी , छतनाग में सेमी और नैनी में सेमी की वृद्धि दर्ज की गई थी। मंगलवार को भी यह क्रम जारी रहा। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार चंबल नदी का पानी पहुंचने के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ने से गंगा-यमुना के तटीय इलाकों मढ़ौका कछार, मवैया और अरैल के लोगों में खलबली मच गई है। शहरी क्षेत्रों में सलोरी, चादपुर, बघाड़ा, छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, राजापुर, बेली आदि में लोग बाढ़ आने की आशका से डरे हैं। हरिद्वार, कानपुर व नरोरा से एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। सिंचाई विभाग के बाढ़ प्रखंड के अधिशासी अभियंता मनोज सिंह ने बताया कि अभी जलस्तर में बढ़ोतरी होगी।

पुलिस को रात में पेट्रोलिंग के निर्देश

गंगा और यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर पर पुलिस भी अलर्ट हो गई है। तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा के प्रति सचेत किया जा रहा है। गंगा व यमुना नदी के किनारे रात में भी पुलिस पेट्रोलिंग करेगी। एडीजी जोन एसएन साबत ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने इलाहाबाद के अलावा, कौशाबी, फतेहपुर समेत अन्य जिले के पुलिस कप्तानों को एहतियात बरतने का कहा है। शिवकुटी, धूमनगंज, करेली, अतरसुइया, मुट्ठीगंज, दारागंज व नैनी, झूंसी समेत अन्य थाने की पुलिस बाढ़ को लेकर अलर्ट हो गई है।

तो शहर को डुबो देंगी कागजी बाढ़ चौकिया

इलाहाबाद शहर की बात करें तो गंगा व यमुना से लगे इलाकों के लोगों का कहना है कि उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। राजापुर के अनुराग यादव का कहना है कि बाढ़ आने के पहले ही इंतजाम होना चाहिए। विनय प्रकाश कहते हैं कि किसी भी रात में मोहल्ले में बाढ़ का पानी घुस जाता है, तब हायतौबा मच जाती है। अभिषेक और संतोष यादव का कहना है कि पिछली दफा भी रात में ही बाढ़ का पानी घरों में घुसा था। यमुना किनारे के क्षेत्रों के लिए प्रशासन ने एमएल कान्वेंट स्कूल को बाढ़ राहत चौकी बनाया गया है। इसी तरह गौसनगर, बाजूपुर, जेके आशियाना, गढ्डा कॉलोनी के लोगों के लिए चेतना ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज, मीरापुर, सदियापुर, ककरहा घाट के लोगों के लिए डीएवी इंटर कॉलेज, कीडगंज, कुरैशीपुर कछार, यमुना बैंक रोड झोपड़पट्टी के लोगों के लिए यमुना क्त्रिश्चियन इंटर कॉलेज और कटघर कछार, दरियबाद, गऊघाट के लोगों के लिए मॉडर्न घोष इंटर कॉलेज को बाढ़ चौकी बनाया गया है। हालांकि यहा कोई कर्मचारी कभी नहीं आता। यही हाल दारागंज में राधारमण इंटर कॉलेज, छोटा बघाड़ा स्थित ऐनीबेसेंट इंटर कॉलेज, ईश्वर शरण इंटर कॉलेज, म्योर रोड स्थित ऋषिकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और स्वामी विवेकानंद जूनियर हाईस्कूल की बाढ ़चौकी का भी था। कैंट हाईस्कूल सदर चौकी, महबूब अली हायर सेकेंड्री स्कूल बेली चौराहा और प्रिंटिंग टेक्नालॉजी तेलियरगंज में भी कहीं कोई कर्मचारी नहीं दिखा। केवल यहा पर प्रधानाचार्यो और प्रबंधकों के फोन नंबर भर दिए गए हैं। ये इंतजाम शहर को भारी पड़ सकते हैं, लेकिन प्रशासनिक अफसर इसे इंतजाम में खामी मानने को तैयार नहीं हैं। उनका दावा है कि जब बाढ़ आएगी तो कर्मचारी पहुंच जाएंगे। प्रभारी अधिकारी आपदा राहत एमपी सिंह कहते हैं कि बाढ़ चौकिया बना दी गई हैं। इन चौकियों पर स्टॉफ की तैनाती कर दी गई है। अभी ये स्टॉफ सुबह-शाम मौके पर जाकर जलस्तर का आकलन करता है। बाढ़ आने पर सारे कर्मचारी पहुंच जाएंगे।

घूरपुर थाना क्षेत्र में गौहनिया में भी यमुना का उफान देख लोगों की नींद उड़ गई है। वहीं यमुना किनारे बसे गांवों में विषैले जीव जंतु के आने से ग्रामीणों में भय बना हुआ है। दहअसल, पानी बढ़ने से यमुना किनारे लगे झाड़ियों व टीलों से गांव की ओर भाग रहे है, जो नालों, दीवारों के सहारे घरों में घुस जाते हैं। इसमें छोटे-मोटे जंतुओं के साथ ही विषैले सर्प व बिचखोपड़ा होते है। बसवार, अमिलिया, पालपुर, इरादतगंज, सारीपुर, बीकर, कंजासा, बिरवल, कैनुआ, भीटा, देवरिया आदि गांवों में प्रतिदिन इस तरह के जंतु देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने प्रशासन से रात को विद्युत कटौती न करने की मांग की है।


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