Move to Jagran APP

Father’s Day 2021: इन बुजुर्गो से बात करिए तो छलक आती हैं आंखें, बेटे हुए बेगाने तो त्याग दिया घर

भैरव प्रसाद व्यवसायी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन पुत्र राजेश और सुरेश को संवारने में लगा दिया। दोनों की शादी के बाद वह चैन की जिंदगी काटना चाह रहे थे लेकिन पत्नी की मौत के बाद दोनों बेटों ने उनसे ऐसा मुंह मोड़ा कि उन्होंने दुखी होकर घर त्याग दिया।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 07:05 PM (IST)
बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाय बेटों ने सहारा देने के वक्त उनसे मुंह मोड़ लिया

प्रयागराज, नरेंद्र श्रीवास्तव।  रविवार को फादर्स डे है। ऐसे मौके पर आज के युवा वाट्स एप पर अपने-अपने पिता के लिए ऐसे ऐसे कमेंट भेजते हैं, जिसे पढ़कर महसूस होता है कि वे अपने जन्मदाता के प्रति पूरी तरह से समर्पित है, लेकिन इन मैसेज में कितनी सच्चाई है अगर इसकी बानगी देखनी हो तो वृद्धा आश्रम में आना पडेगा जहां जीवन भर पिता का किरदार निभाते हुए अपना सर्वस्व लुटाने वाले बुजुर्ग बुढ़ापे के दिन वृद्धा अवस्था आश्रम में गुजारने के लिए मजबूर हैं। बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाय बेटों ने सहारा देने के वक्त उनसे मुंह मोड़ लिया।

loksabha election banner

पत्नी नहीं रही, बेटों ने मुंह मोड़ा तो त्याग दिया घर

कौशांबी जिले के भैरव प्रसाद व्यवसायी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन पुत्र राजेश कुमार और सुरेश कुमार को संवारने में लगा दिया। दोनों की शादी करने के बाद वह चैन की जिंदगी काटना चाह रहे थे, लेकिन पत्नी की मौत के बाद दोनों बेटों ने उनसे ऐसा मुंह मोड़ा कि उन्होंने दुखी होकर घर त्याग दिया। पिछले आठ माह से आधारशिला वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं। परिवार के विषय में बात करने पर उनकी आंखें नम हो गई। मुंह से इतना ही निकला कि अब अच्छा लग रहा है। अब इसी तरह जीवन गुजारकर दुनिया से चले जाना है।

भोला, रामेश्वर, भोपाल का भी है दुखद किस्सा

इसी तरह सुल्तानपुर जनपद में धम्मौर गांव निवासी भोला प्रसाद सराफा व्यापारी थे। दो बेटे संतोष कुमार सोनी और नीरज कुमार को पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा किया। जब उम्रदराज होने पर भोला प्रसाद को सहारे की जरूरत पड़ी तो दोनों बेटों ने मुंह मोड़ लिया। पत्नी विद्या देवी भी बेटों के साथ रहने लगी। उन्हें घर में घुटन महसूस होने लगी। एक दिन घर छोड़कर निकल गए। किसी ने उन्हें वृद्धा आश्रम पहुंचा दिया। पिछले 5 साल से वे यही रह रहे हैं। मध्य प्रदेश के पन्ना जिला सूरत सेमरी गांव निवासी भोपाल सिंह परिवार के विषय में बताते हुए भावुक हो गए। दो बेटों को खेत में कड़ी मेहनत कर कमाने लायक बनाया। दोनों की शादी की। मगर विवाह के बाद दोनों बाप को भूल गए। पत्नी मुन्नी ने बेटों के साथ ही जीवन काटने का फैसला किया। यह बात उन्हें इतनी नागवार लगी कि घर का त्याग कर दिया। मध्यप्रदेश के जबलपुर निवासी रामेश्वर भटनागर व्यवसाय  कर परिवार का पालन पोषण करते थे। उनका इकलौते बेटे अनुराग भटनागर ने संयास ले लिया। पति पत्नी अकेले पड़ गए तो सब कुछ त्याग कर आगे का जीवन वृद्ध आश्रम में गुजार रहे। बेटा कभी-कभी उनका हालचाल लेने आता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.