Move to Jagran APP

औषधीय पौधों की खेती कर प्रयागराज के किसान बन सकेंंगे कोरोना योद्धा

कुछ स्थानों पर औषधीय पौधों जै से तुलसी सहजन हल्दी आदि और सगंध पौधों जैसे खस लैमन ग्रास पामा रोया से निकाले गए तेल का इस्तेमाल साबुन और सैनिटाइजर बनाने में किया जा रहा है। गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वालों से ऐसी ही उम्मीद वन विभाग को है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 07:00 AM (IST)
औषधीय पौधों की खेती कर प्रयागराज के किसान बन सकेंंगे कोरोना योद्धा
कोरोना वायरस संक्रमण काल में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ी है।

प्रयागराज, अमितेश पांडेय। कोरोना वायरस संक्रमण काल में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ी है। इस मांग को पूरा करने में अब गंगा के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले किसान भी हाथ बटाएंगे। वन विभाग इसमें उनकी मदद करेगा। विभाग ऐसे किसानों को औषधीय व सगंध पौधों की खेती के लिए सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराएगा। औषधीय पौधों की खेती से जहां बंजर भूमि का सदुपयोग होगा, वहीं किसानों की आय भी बढ़ेगी।

loksabha election banner

 गंगा के तटीय क्षेत्रों को रसायन मुक्त करना है

अविरल, निर्मल गंगा के लिए नमामि गंगे योजना पिछले कुछ वर्षों से चल रही है। इसका एक लक्ष्य गंगा के तटीय क्षेत्रों को रसायन मुक्त करना है तो साथ ही यह भी देखना है कि तटवर्ती इलाकों में रहने वाले अपनी स्थिति किस तरह बेहतर कर सकते हैैं। इसलिए वहां औषधीय पौधे लगाने की कवायद की जा रही है।डीएफओ (प्रभागीय वनाधिकारी) वाईपी शुक्ला कहते हैैं कि गंगा के तटीय इलाकों में औषधीय पौधों की खेती की बेहतर संभावना है। किसान इसकी खेती कर कोरोना से लड़ाई में अपना योगदान देने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी बेहतर कर सकेंगे। नमामि गंगे परियोजना के तहत कुछ स्थानों पर औषधीय पौधों जै से तुलसी, सहजन, हल्दी आदि और सगंध पौधों जैसे खस, लैमन ग्रास, पामा रोया से निकाले गए तेल का इस्तेमाल साबुन और सैनिटाइजर बनाने में किया जा रहा है। प्रयागराज और उसके आसपास भी गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वालों से ऐसी ही उम्मीद वन विभाग को है।

जिले में बनाए गए आठ क्लस्टर

प्रयागराज में गंगा किनारे झूंसी, नैनी, करछना, मेजा रोड, हंडिया, कौडि़हार में ऐसे आठ क्लस्टर चिह्नित किए गए हैैं जहां औषधीय पौधे लगाए जा सकते हैैं। करीब 400 हेक्टेयर भूमि पर 200 से 250 किसान औषधीय पौधों की खेती करेंगे। औषधीय और सगंध पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। अमूमन गंगा के तटीय क्षेत्रों में बंजर भूमि होती है। कुछ किसान यहां सब्जियां और फसल जरूर उगाते हैं। डीएफओ के मुताबिक यह भी देखा गया है कि औषधीय पौधों की खेती बेसहारा मवेशियों से सुरक्षित रहती है, इसलिए इसकी उपज लेने वालों को कोई नुकसान नहीं होगा।

तैयार हो गई हैं नर्सरियां

प्रभागीय वनाधिकारी वाईपी शुक्ला ने बताया कि कई जगहों पर नर्सरियां तैयार हो गई हैं। किसान यहां से पौधे ले जाकर लगा सकते हैं। हंडिया में कुछ किसानों ने खेती शुरू भी कर दी है। किसानों को एक तिहाई सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.