टाटा ग्रुप के बारा पावर प्लांट संभालने से पूर्व सक्रिय हुए किसान नेता
बारा पावर प्लांट अब जेपी ग्रुप से टाटा ग्रुप में जा रहा है। ऐसे में किसान नेता उत्तेजित हो गए हैं। क्योंकि जेपी ग्रुप ने किसानों से कई वायदे किए थे, जिन्हें पूरा नहीं किया।
प्रयागराज : बारा स्थित पावर प्लांट अब जेपी ग्रुप की बजाय टाटा ग्रुप के हाथों में जा रहा है। उधर, जेपी ग्रुप ने अभी तक किसानों के साथ किए गए वादे पूरे नहीं किए थे। ऐसे में जब टाटा ग्रुप कमान संभालेगा तो उसके सामने किसानों की मांगें फिर सिर उठाएंगी। किसान संगठन इस बात को लेकर सक्रिय भी हो चुके हैं।
किसानों की भूमि की गई थी अधिग्रहीत
बारा पावर प्लांट की स्थापना और रेलवे लाइन के लिए तहसील के बेमरा, बेरुई, खान सेमरा, जोरवट, कपारी और मटरवार गांवों की जमीनें अधिग्रहीत की गई थीं। उस वक्त जेपी ग्रुप ने इन गांवों को गोद लेकर यहां ढांचागत विकास से लेकर मुफ्त शिक्षा का भी वादा किया था, लेकिन यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
874 परिवार भूमि अधिग्रहण से हुए थे प्रभावित
भूमि अधिग्रहण के बाद 874 परिवार प्रभावित हुए थे, उसमें महज 325 युवाओं को संविदा पर नौकरी दी गई थी। इसमें से भी अब तक करीब 55 युवाओं को निकाला जा चुका है। जेपी ग्रुप की इस वादा खिलाफी से किसान बेहद नाराज हैं।
भाकियू टिकैत गुट के नेता ने कहा, टाटा ग्रुप के साथ वार्ता होगी
भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के तहसील अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि इस मामले में जिलाधिकारी और एडीएम नजूल से वार्ता हुई है। यह आश्वासन मिला है कि टाटा ग्रुप के काम संभालने पर किसानों की उनके साथ वार्ता कराकर मांगें पूरी कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि अगर यह वादे पूरे नहीं किए गए तो कुंभ के दौरान भाकियू के पांच दिवसीय कार्यक्रम में प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया जाएगा। इसके बाद फरवरी में बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।