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Poisonous liquor death in Pratapgarh: माता-पिता की मौत से अनाथ हो गए बच्चे, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

सस्ती शराब पीने से जान गंवाने वाले लोग अपने घर के कमाऊ सदस्य थे। परिवार उन पर ही आश्रित था। इन लोगों की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है। अब इन तीनों परिवार के लोगों के सामने दो जून की रोटी का संकट हो गया है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 07:00 AM (IST)
अब इन तीनों परिवार के लोगों के सामने दो जून की रोटी का का संकट पैदा हो गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। सस्ती शराब पीने से जान गंवाने वाले लोग अपने घर के कमाऊ सदस्य थे। परिवार उन पर ही आश्रित था। इन लोगों की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है। अब इन तीनों परिवार के लोगों के सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया है। दुखों के पहाड़ ने पीड़ित परिवार का सुख-चैन छीन लिया है। गांव और रिश्तेदारी के लोग भी इस परिवार पर टूटी मुसीबत से दुखी हैं। 

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मजदूरी कर खींचते थे परिवार की गाड़ी, अब कैसे चलेगा परिवार

मनोहरापुर गांव की सरोज बस्ती के लोग मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं। खेत भी इतना नहीं है कि खेती कर गुजारा कर सकें। सबसे अधिक दुखों का पहाड़ जवाहरलाल के बच्चों पर टूटा है। जवाहर लाल के चार बच्चों में बेटी श्रीमती (24) व नीलम (20) की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी कोमल (15) घर पर माता-पिता के साथ रहती थी। बेटा दीपक (13) महीने भर पहले बहन श्रीमती के घर सूरत चला गया था। कोमल इंटरमीडिएट की छात्रा है जबकि दीपक हाईस्कूल का छात्र है। जहरीली शराब पीने से पिता जवाहरलाल व मां सुनीता देवी की मौत से कोमल व दीपक अनाथ हो गए। अब दोनों बच्चों को अपनी बड़ी बहनों का ही सहारा है।

उजड़ गई मांग, उजड़ी उसकी दुनिया

राम प्रसाद दिल्ली में रहकर प्लंबरिंग का काम करता था। साल भर पहले कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन में घर चला आया था, तब से यहीं पर मजदूरी व खेती करता था। इसके तीन बच्चे प्रदीप (17), संधना (14) व राज (10) है। प्रदीप दिल्ली में मजदूरी करता है। संधना कक्षा नौ व राज कक्षा सात का छात्र है। राम प्रसाद की पत्नी नीता देवी विलाप करते-करते बार-बार बेहोश हो जाती है। सबसे यही कहती है कि उसकी तो दुनिया ही उजड़ गई। पूरे परिवार का खर्च उसके पति ही चलाते थे। अब बेटे प्रदीप का ही सहारा है। 

विजय कुमार के कंधों पर सारा दारोमदार, टूटी आस

विजय कुमार भी मजदूरी कर पूरे परिवार का खर्च चलाता था। विजय के चार बच्चे अंकित (15), निखिल (12), सोनाली (10), रेशमा (8) हैं। अंकित कक्षा 12, निखिल सात, सोनाली तीन व रेशमा कक्षा दो मेें पढ़ती है। विजय की पत्नी निर्मला यह कहकर रोने लगी कि पति की मौत से पूरा परिवार टूट गया है। अब घर का खर्च कैसे चलेगा, बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, ऐसे ही सवालों से उसकी जिंदगी घिरी है। वह लगातार आंसू बहा रही है।


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