मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को खतरा
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शिक्षित महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान नहीं दे पाती हैं। ह
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शिक्षित महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान नहीं दे पाती हैं। हालांकि, वे परिवार के सभी सदस्यों की सेहत के प्रति सजग रहती हैं। यह कहना है इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी का। वह गुरुवार को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रीतम दास सभागार में विश्व मधुमेह दिवस पर आयोजित 'महिला और मधुमेह' शीर्षक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त कर रही थीं।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी ने कहा कि महिला तो परिवार की धुरी है। स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देने के लिए मां का स्वस्थ्य होना आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि प्रो. राज बवेजा ने कहा कि किशोरियों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एसपी सिंह ने मधुमेह के कारण एवं निवारण पर प्रकाश डाला। कहा कि मधुमेह के रोगियों को आंख के पर्दे की निरंतर जांच करानी चाहिए। डा. सरिता बजाज ने मधुमेह से जुड़ी भ्रांतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि मधुमेह किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। मधुमेह से गर्भस्थ शिशु प्रभावित हो सकता है। नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. केजी सिंह ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। डा. अनुभा श्रीवस्तव ने विश्व मधुमेह दिवस की जानकारी प्रदान की। एसआरएन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. करुणाकर द्विवेदी ने स्वागत किया।
डायबटीज एजुकेशन फाउंडेशन की प्रमुख डा. शांति चौधरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। आयन बोस चटर्जी ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दौरान और परीक्षण एवं प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर क्रास्थवेट गर्ल्स इंटर कॉलेज एवं मेडिकल कॉलेज की छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में अंजू चतुर्वेदी, डॉ. वत्सला मिश्रा, मीनू रानी दुबे, डॉ. आरके यादव, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ. दिलीप चौरसिया, डॉ. तारिक महमूद, जमुनोत्री देवी, डॉ. सुजीत कुमार, प्रभा भार्गव, प्रीति सूरी, रेनू घिल्डियाल, सरोज धींगरा, रवि प्रकाश, सुशीला तिवारी, विमलेश कुमार आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।