महामंडलेश्वर बनने को संतों की 'परीक्षा', अखाड़ों में अावेदन अाने शुरू
अब अखाड़ों में मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर जैसे पद पाने के लिए संतों को यह बताना होगा कि वह इसके काबिल हैं। विभिन्न अखाड़ों में इन दिनों संतों की ढेरों अर्जियां आ रही हैं।
इलाहाबाद [शरद द्विवेदी़]। आपने सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में अर्जियां लगाकर परीक्षा देते सुना व देखा होगा। इसमें जो पास होता है उसे नौकरी मिलती है। अब अखाड़ों में मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर जैसे पद पाने के लिए संतों को यह बताना होगा कि वह इसके काबिल हैं। विभिन्न अखाड़ों में इन दिनों संतों की ढेरों अर्जियां आ रही हैं। अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर, पदाधिकारी व पंच परमेश्वर कुंभ से पहले निर्णय लेंगे कि किसे उपाधि देना है और किसे नहीं। अगर संतों की काबिलियत कमजोर होगी तो वे पद पाने से उसी तरह वंचित हो जाएंगे, जिस तरह नौकरी के लिए परीक्षा में फेल होने वाले अभ्यर्थी रह जाते हैं।
कुंभ मेला में मिलती है उपाधि
अखाड़े कुंभ मेला में महामंडलेश्वर व मंडलेश्वरों की उपाधि प्रदान करते हैं। प्रयाग कुंभ में उपाधि पाने का महत्व अधिक है। यही कारण है कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय संतों में अखाड़ों से जुड़कर उपाधि पाने की होड़ है। अभी तक 13 अखाड़ों में 191 अर्जियां पहुंची हैं।
किस अखाड़े में कितनी अर्जियां
जूना में 38, निरंजनी में 14, निर्मल में आठ, दिगंबर अनी में 13, निर्वाणी अनी में 11, निर्मोही अनी में 22, पंचायती बड़ा उदासीन में 12, पंचायती नया उदासीन में 14, अटल में 11, महानिर्वाणी में 16, आनंद में नौ, अग्नि में आठ व आह्वान अखाड़ा में 15 संतों की अर्जियां पहुंची हैं।
यह लिख रहे अर्जी में
'स्वामी श्री सादर प्रणाम, मैं शनि उपासक हरेंद्रानंद महाराज कुरुक्षेत्र से हूं। घर-परिवार से मेरा मोह 11 साल की उम्र में भंग हो गया। इसके बाद शनिदेव का दास बन गया। मैं शनि पीठ कुरुक्षेत्र का पीठाधीश्वर हूं। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत भाषाओं का ज्ञाता हूं। आपके अखाड़ा से जुड़कर धर्म के क्षेत्र में काम करना चाहता हूं। कृपया महामंडलेश्वर के रूप में मेरा चयन करने का कष्ट करें। इस तरह की अर्जी स्वामी हरेंद्रानंद ने जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक हरि गिरि के पास भेजी है।
जांच के बाद लेंगे निर्णय
निर्वाणी अनि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिलदेव 'नागा बताते हैं कि पहले संत के चरित्र, सामाजिक व धार्मिक कार्यप्रणाली की जांच होगी। देखा जाएगा कि खुद के परिवार से कोई संबंध है या नहीं? इसके बाद विद्वता का परीक्षण करके उपाधि दी जाएगी।
होनी चाहिए यह योग्यता
महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर बनने वाले को वेद, पुराण व संस्कृत का ज्ञाता होना चाहिए। संन्यास लिए कम से कम दस साल पूरा होना चाहिए।
ऐसे होता है चयन
अखाड़ों में महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर का चयन उसके आचार्य पीठाधीश्वर व पदाधिकारी कुंभ में करते हैं। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मस्तक पर तिलक लगाकर चादरपोशी करके सिंहासन पर विराजमान करके छत्र दिया जाता है।
यह होता है फायदा
अखाड़ों के महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर का धार्मिक व सामाजिक रुतबा होता है। कुंभ के दौरान होने वाली पेशवाई व शाही स्नान में भव्य रथ पर विराजमान होकर जाते हैं। अखाड़ा से जुडऩे पर उनका धार्मिक व सामाजिक कद बढ़ता है। शासन-प्रशासन में प्रमुखता मिलती है।
'हर अखाड़े में महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर बनने के लिए संत लगातार संपर्क कर रहे हैं। कुंभ में किसे उपाधि देनी है और किसे नहीं, यह निर्णय करना अखाड़ों के पदाधिकारियों पर होता है।
- महामंडलेश्वर संतोष दास 'सतुआ बाबा, निर्मोही अनी अखाड़ा
'जूना अखाड़ा से उपाधि पाने के लिए देश-विदेश के संत संपर्क कर रहे हैं। सारी अर्जियों की पड़ताल चल रही है। उपयुक्त संत को ही उपाधि दी जाएगी।
- श्रीमहंत नारायण गिरि, मंत्री जूना अखाड़ा