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नकल में तीन साल के लिए परीक्षा केंद्र डिबार Prayagraj News

वह पहली पाली में सहसों के बेरूई स्थित राज नारायण पांडेय डिग्री कॉलेज की जांच करने पहुंचीं। उन्होंने कई कक्ष का निरीक्षण किया। इस दौरान परीक्षार्थियों को नकल करते पाया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 08:50 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 08:50 PM (IST)
नकल में तीन साल के लिए परीक्षा केंद्र डिबार Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन : प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षा में नकल कराने के आरोप में शुक्रवार को सहसों के बेरूई स्थित राज नारायण पांडेय डिग्री कॉलेज को तीन साल के लिए डिबार कर दिया गया। इसे अब तीन वर्ष तक परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। यह कार्रवाई कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने की।

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 प्रयागराज मंडल में राज्य विवि की सेमेस्टर परीक्षाएं शुक्रवार से शुरू हो गईं। पहले दिन शुक्रवार को कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव टीम के साथ महाविद्यालयों का औचक निरीक्षण करने निकलीं। वह पहली पाली में सहसों के बेरूई स्थित राज नारायण पांडेय डिग्री कॉलेज की जांच करने पहुंचीं। उन्होंने कई कक्ष का निरीक्षण किया। इस दौरान परीक्षार्थियों को नकल करते पाया। सभी की उत्तर पुस्तिकाएं जब्त कर ली गईं। इसके अलावा परिसर से भी भारी मात्रा में नकल सामग्री मिली। इस परीक्षा केंद्र को तीन साल के लिए डिबार कर दिया गया। इसके बाद कुलपति ने झूंसी स्थित कमलेश यादव गर्ल्‍स डिग्री कॉलेज का भी औचक निरीक्षण किया। वहां परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से हो रही थी। कुलपति ने बताया कि बेरूई में होने वाली आगामी परीक्षाएं झूंसी स्थित कमलेश यादव गर्ल्‍स डिग्री कॉलेज में होंगी।

कुलभाष्कर में हावी रही अव्यवस्था

राज्य विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षा के दौरान कुलभाष्कर आश्रम पीजी महाविद्यालय में अव्यवस्था हावी रही। परीक्षार्थियों ने बताया कि बैठने की व्यवस्था सही नहीं थी। समय होने पर अफरातफरी का माहौल भी रहा। ऐसा इसलिए हुआ कि विवि प्रशासन ने मनमानी करते हुए मानक से अधिक महाविद्यालयों का परीक्षा केंद्र इसे बना दिया है। जबकि, प्राचार्य की ओर से शिकायत भी की गई थी। इसके अलावा महाविद्यालय के गेट पर परीक्षार्थियों के लिए कोई नोटिस भी नहीं चस्पा थी। ऐसे में परीक्षार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। परीक्षार्थियों ने बताया कि महाविद्यालय में सीटों की कमी भी थी।


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