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हर तरफ हर-हर, बम-बम का जयघोष

सावन के महीने में सड़क शिवमय हो गई हैं। हर तरफ कांवरियों का हुजूम नजर आ रहा है। बोल-बम के नारों से वातावरण भक्तिमय हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 12:05 PM (IST)
हर तरफ हर-हर, बम-बम का जयघोष
हर तरफ हर-हर, बम-बम का जयघोष

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : श्रावण के मौसम में रिमझिम बारिश का सिलसिला जारी है। दिन-रात बारिश होने से सबसे चहुंओर भक्ति का रंग गाढ़ा हो गया है। कांवर लेकर शिवधाम जाने वाले कांवरियां भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर पग बढ़ा रहे हैं। हर-हर बम-बम का उद्घोष करते हुए गंगा स्नान करके शिवालयों में जलाभिषेक कर रहे हैं। बारिश होने से वह भीगते हुए नंगे पाव शिवधाम जो रहे हैं। मनकामेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक नजर आयी। किसी के हाथ में गंगाजल, तो कोई दूध, फूल लेकर अपनी बारी के इंतजार में था। महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग घंटों लाइन में नंगे पांव खड़े रहे। कुछ भक्त 'बोल बम, हर-हर महादेव' का जयघोष करते तो लाइन में लगे सैकड़ों लोग भी उनका साथ देते। बीच-बीच में हो रही बारिश से मानों इंद्रदेव शिवभक्तों पर कृपा बरसा रहे हों।

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बारिश की बूंद तन पर पढ़ते ही भक्ति का भाव और प्रगाढ़ हो जाता, जिससे भक्तों के चेहरे पर एक अजीब सी चमक और शरीर में ऊर्जा देखने को मिलती। महादेव भोलेशंकर का दर्शन-पूजन करने के लिए शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई बाबा के शिवलिंग का दर्शन और पूजन करने के लिए व्याकुल नजर आया। भक्तों ने शिवलिंग पर दूध, मदार, गंगाजल, धतूरा, भांग, भस्म चढ़ाकर विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर स्वयं के कल्याण की कामना की। भोर से शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

भक्तों ने शिवालयों में ही शिव चालीसा, रुद्राभिषेक, महाभिषेक, महामृत्युंजय का जाप कराया तो कुछ ने घर में इसका आयोजन कराया। श्रावण का महीना भोलेनाथ की अराधना का सबसे पवित्र समय होता है। इसमें यम-नियम से भोलेनाथ का व्रत और दर्शन-पूजन करने वाले साधक को हर कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। इसमें किसी प्राचीन शिवलिंग का दर्शन, पूजन करने से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है। इससे हर प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्टों का नाश होता है।

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कांवरियों का उमड़ा हुजूम

श्रावण पर संगम, दशाश्वमेधघाट, रामघाट, दारागंज, शिवकोटि सहित अनेक गंगाघाटों पर भोर से स्नानार्थियों व कांवरियों का रेला पहुंच रहा है। बारिश से बेफिक्र भगवा वस्त्रधारी भक्तों व कांवरियों ने स्नान करने के बाद वहां का जलभरकर मनकामेश्वर, दशाश्वमेध महादेव, शिवकोटि, पंचमुखी महादेव, हनुमत निकेतन, पड़िला महादेव, भोलेगिरि आदि शिवालयों में जाकर जल चढ़ाया। कुछ यहां से जल लेकर बैजनाथ धाम, काशी विश्वनाथ मंदिर 'बोल बम' का उद्घोष करते रवाना हो गए।

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पूरे दिन चल रहा अनुष्ठान

श्रावण पर शहर के शिवालय में रुद्राभिषेक, महाभिषेक और महामृत्युंजय जाप आदि का अनुष्ठान पूरे दिन चल रहा है। अनुष्ठान कराने के लिए बाहर से धर्माचार्यो को बुलाया गया था। मनकामेश्वर, तक्षकतीर्थ, शिवकोटि सहित अनेक मंदिरों में कई जगह अनुष्ठान हुआ। इसमें भारी संख्या में भक्त शामिल हुए।

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दशाश्वमेधघाट से भरें जल

भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए दूर-दूर से कांवरिया व दूसरे भक्त यहां का जल लेने आते हैं। संगम के अलावा दशाश्वमेधघाट का जल भरने के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्वयं ब्रह्माजी का वास है। इसी कारण भोलेनाथ को दशाश्वमेधघाट का जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। ---------

अखंड सुहाग के लिए रखा व्रत

श्रावण के प्रथम सोमवार पर महिलाओं व युवतियों ने व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से भोलेनाथ का पूजन किया। ऐसी मान्यता है कि जो स्त्रियां यम-नियम से सावन के सोमवार पर व्रत रखकर पूजन करती हैं उनकेभोलेनाथ उसके सुहाग (पति) के ऊपर आने वाली हर विपत्तियों को हरने के साथ सदैव उसकी रक्षा करती हैं। जबकि युवतियों को योग्य वर की प्राप्ति होती है। वहीं पुरुषों, बुजुर्गो और बच्चों ने भी अपनी कामना पूरी कराने के लिए भोलेनाथ का व्रत रखकर उनका पूजन किया तो भारी संख्या में भक्तों ने मौन व्रत रखा।

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दशाश्वमेध में पूरे दिन हुआ जलाभिषेक

दारागंज मोहल्ले में स्थित दशाश्वमेध मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान ब्रह्मा ने की थी। मान्यता है कि सृष्टि के प्रलय के बाद जब भगवान विष्णु अक्षयवट के पत्ते पर बालरूप में शयन कर रहे थे तब ब्रह्मा जी को नई सृष्टि की उत्पत्ति की चिंता हुई। इसी के निमित्त उन्होंने शंकर जी का शिवलिंग स्थापित कर पूजन करने के बाद सृष्टि की रचना की। यहां आने वाले हर भव्य की हर कामना पूरी होती है। श्रावण में माहभर यहां कांवरियों व अन्य भक्तों का तांता लगा रहता है।

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तक्षकतीर्थ में हुआ अनुष्ठान

यमुनातट पर दरियाबाद मोहल्ले में स्थित प्राचीन तक्षकतीर्थ मंदिर भक्तों का भारी हुजूम उमड़ा। यह मंदिर दुनिया के प्राचीन मंदिरों में एक है। यहां रुद्राभिषेक व पूजन करने से कालसर्पदोष से तत्काल मुक्ति मिल जाती है।

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गंगोली शिवालय में किया जलाभिषेक

यह शहर का अति प्राचीन शिवाला है। मंदिर में जयपुर के कलाकारों द्वारा की गई कलात्मक शिल्पकारी सबका ध्यान अपनी ओर खीचती है।

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नागवासुकी में उमड़े भक्त

गंगातट पर दारागंज मोहल्ले में स्थित नागवासुकी मंदिर में पूरे श्रावण महीने में आम भक्तों और कांवरियों की यहां भीड़ रहती है। खासकर नागपंचमी को यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं। यहां दर्शन-पूजन करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। इसके कारण मंदिर में विशेष अनुष्ठान कराया जाता है। ------------

कोटेश्वर महादेव करेंगे कल्याण

कोटेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए भारी संख्या में भक्त आते हैं। मान्यता है कि कोटेश्वर महादेव का दर्शन करने मात्र से ही मानव को हर कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम ने लंका से वापस अयोध्या लौटते समय स्वयं के ऊपर लगे ब्रह्म हत्या के कलंक को समाप्त करने के लिए किया था। मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों की भारी भीड़ रहती है।


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