कागजों पर ही नजर आते हैं नैनी के तालाब, अतिक्रमण के शिकार Prayagraj News
नैनी में तालाब अतिक्रमण का शिकार हैं। उन्हें पाटकर मकान बिजली पानी और सड़क बना दिया गया। व्यवस्था देकर सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने भी भूमाफिया की खूब मदद की।
प्रयागराज, जेएनएन। नगर निगम क्षेत्र में आने वाले तालाबों का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया है। कभी लबालब पानी से भरे तालाबों को देख लोग हर्षित होते थे। अब वहां तालाबों का नामोनिशान नहीं रह गया। सैकड़ों मकान बन गए। सरकारी विभागों ने वहां पक्की सड़कें, बिजली और पानी के कनेक्शन मुहैया करा कर तालाब की जमीनों पर आबादी बसाने में पूरी मदद की है। तहसील कर्मियों ने भी जमीन का बैनामा करने में कोई संकोच नहीं किया। अदालती आदेश के बाद भी तालाब की जमीन पर कब्जा नहीं हटाया जा रहा। कई बार कागजी प्रयास किए गए, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।
चकदाउद नगर, महरा का पूरा में कभी पानी से लबालब रहते थे तालाब
नैनी के चकदाउद नगर, महरा का पूरा के बीच कई बीघे में तालाब था, जिसे कई साल पहले पाट कर मकान बनवा दिए गए। नगर निगम के कार्यालय के समीप होने के बावजूद कोई रोकटोक नहीं की गई। वर्ष 2006 और 2017 में तालाब पर बसे करीब 54 लोगों को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिया गया। मकानों का चिह्नीकरण भी किया गया। नोटिस जारी होने से वहां रह रहे लोगों में हड़कंप मच गया, जिसका दलालों ने जमकर फायदा उठाया। जब नोटिस जारी हुई तो मकान बचाने के नाम पर दलालों ने जमकर पैसे वसूले। और हुआ भी वहीं जो लोग चाहते थे। सारे फरमान ठंडे बस्ते में चले गए।
...यहां लगता था नागपंचमी का मेला
काटन मिल की दीवार के समीप मीरजापुर मार्ग पर करीब 30 बीघे में गुडिय़ा का तालाब था। तालाब के चारों ओर आठ फीट ऊंची दीवार बनाई गई थी। दीवार से पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़ी भी थी। नागपंचमी के दिन मेला लगता था। दूरदराज के गांवों से आए लोग वहां गुडिय़ा पीटते और दंगल का आनंद लेते थे। नामी गिरामी पहलवान यहां कुश्ती लड़ते थे। 1998 में उक्त तालाब को पाटकर सब्जी मंडी आबाद कर दी गई। उस दौरान इसका जमकर विरोध हुआ था, लेकिन प्रशासन के आगे किसी की नहीं चली।
ददरी तालुका तालाब से कब्जा हटवाने का हुई थी प्रशासनिक कवायद
ददरी तालुका में स्थित तालाब को भी पाटकर मकान बनवा लिए गए। इन भवनों को गिराने के लिए पिछले महीने अधिकारी जुटे थे, लेकिन बाद में वापस चले गए। यहां भूमाफिया ने जमकर खेल खेला। कई बीघे में स्थित तालाब का अब नामोनिशान नहीं बचा है। कमोवेश यही स्थिति बसंत का पूरा गांव में स्थित तालाब का है। तालाब को पूरी तरह से पाट दिया गया। परिणाम स्वरूप लोगों के घरों से निकला गंदा पानी गांव के रास्तों पर जमा है। जलभराव की समस्या से परेशान ग्रामीणों ने 30 मई को नैनी थाने का घेराव करते हुए एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा था।