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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्राचार संस्‍थान कर्मियों को सशर्त मिलेगी नौकरी, देना होगा हलफनामा

इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के पत्राचार संस्‍थान के कर्मचारियों के लिए अच्‍छी खबर है। वह यह कि उन्‍हें विश्‍वविद्यालय में समायोजित किया जाएगा। हालांकि उनका पिछला वेतन नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में समायोजन से पहले कर्मचारियों से हलफनामा भी लिया जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 03:08 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 03:08 PM (IST)
सत्र 2016-17 से इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के पत्राचार संस्‍थान में शैक्षिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के अभिन्न अंग रहे पत्राचार संस्थान के 31 कर्मचारियों को विश्वविद्यालय में समायोजित किया जाएगा। हालांकि, कर्मचारियों के वेतन का तकरीबन 30 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान विश्‍वविद्यालय प्रशासन नहीं करेगा। यही वजह है कि समायोजन से पहले कर्मचारियों से हलफनामा लिया जा रहा है। इसके लिए कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के निर्देश पर रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने कर्मचारियों को पत्र भेजकर दो तरह की शर्त रखी है।

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रिक्‍त पदों पर पत्राचार कर्मियों को समायोजित किया जाएगा

कर्मचारियों को भेजे गए पत्र के मुताबिक कर्मचारियों के रिक्त पदों के सापेक्ष उन्हें रिक्त पदों पर समायोजित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें शैक्षणिक दस्तावेज, संस्थान में जिस पद पर नियुक्ति हुई थी उसका विवरण, उक्त पद पर ज्वाइनिंग की सही तिथि, यदि कंप्यूटर के बारे में कोई जानकारी हो तो उसका ब्योरा देने के साथ ही अन्य कोई कौशल हो तो उसका प्रमाण जमा करना होगा। इसके अलावा हलफनामा जमा करने को कहा गया है।

कर्मचारियों को हलफनामा में यह उल्‍लेख करना होगा

हलफनामा में यह उल्लेख करना होगा कि मैं अपनी पिछली सेवाओं के संबंध में किसी भी दावे को माफ करने के लिए सहमत हूं, जिसमें वेतन, बकाया, पिछली सेवाओं की वरिष्ठता की गणना के अलावा अन्य वित्तीय दावे भी शामिल हैं। तीन फरवरी तक हलफनामा जमा करना होगा। इसके बाद तकनीकी तौर पर स्क्रीङ्क्षनग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।

पांच वर्ष पूर्व बंद किया गया था पत्राचार संस्थान

पूर्व कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू के निर्देश पर छह सितंबर 2016 को सत्र 2016-17 से पत्राचार संस्थान की शैक्षिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी। कर्मचारियों ने न्यायालय में याचिका दाखिल की तो हाई कोर्ट ने मई 2018 में रोक से संबंधित आदेश को निरस्त कर दिया। इसके विरोध में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी। इसे खारिज कर दिया गया था। हालांकि 26 जुलाई 2019 को कार्य परिषद की बैठक में संस्थान को बंद करने का निर्णय ले लिया गया।

बोलीं, इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय की पीआरओ

इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय की पीआरओ डाक्‍टर जया कपूर कहती हैं कि कार्य परिषद द्वारा इस विषय में लिए गए निर्णय के अंतर्गत आगे कार्यवाही की जा रही है।


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