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प्रतापगढ़ के उदीयमान खिलाडि़यों में है जज्‍बा, लय में बने रहने को बिना 'द्रोणाचार्य' के ही भांज रहे बल्ला

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर मीराभवन में स्थित स्टेडियम में क्रिकेट वॉलीबाल फुटबाल हाकी तलवारबाजी कुश्ती एथलीट बॉस्केटबाल के कैंप चलते थे। इन सभी खेलों में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश सरकार संविदा में कोच का चयन करती थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 09:48 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 09:48 AM (IST)
प्रतापगढ़ के स्‍टेडियम में बिना कोच के ही खिलाड़ी प्रैक्टिस में जुटे हुए हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ में इन दिनों स्टेडियम में बिना 'द्रोणाचार्य' यानी बिना कोच के ही क्रिकेटर अपना बल्ला भांज रहे हैं। ऐसा वह लय में बने रहने के लिए कर रहे हैं। स्‍टेडियम में प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। बिना कोच के ही प्रैक्टिस करने का कारण कोरोना वायरस संक्रमण काल में कोच की संविदा का नवीनीकरण शासन से अभी नहीं होना है। हालांकि स्टेडियम खुलने के बाद सभी खेलों के कोच संविदा के नवीनीकरण की आस लगा लिए थे।

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जिला मुख्यालय पर मीराभवन में स्थित स्टेडियम में क्रिकेट, वॉलीबाल, फुटबाल, हाकी, तलवारबाजी, कुश्ती, एथलीट, बॉस्केटबाल के कैंप चलते थे। इन सभी खेलों में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश सरकार संविदा में कोच का चयन करती थी। यह कैंप करीब दस महीने चलता था। इस बार सभी कोच का कार्यकाल फरवरी 2020 में मार्च तक बढ़ा दिया गया था। मार्च का महीना पूरा होने के पहले ही कोरोना संक्रमण की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था। 25 मार्च से स्टेडियम में ताला लटक गया।

कोच की संविदा का नवीनीकरण सरकार ने नहीं किया

करीब पांच महीने तक बंद रहने के बाद अनलॉक-5 में एक अक्टूबर से शासन के आदेश पर स्टेडियम खोल दिया गया। हालांकि कोच की संविदा का नवीनीकरण सरकार ने नहीं किया। ऐसे में कोच स्टेडियम नहीं आ रहे हैं लेकिन खिलाड़ी अपनी लय बरकरार रखने के लिए स्टेडियम आने लगे हैं। खिलाड़ी तो अनलॉक-1 से ही स्टेडियम खुलने का इंतजार कर रहे थे। वैसे तो स्टेडियम में लॉकडाउन के पहले तक 100 से अधिक क्रिकेट के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने आ रहे थे लेकिन इस समय यह संख्या काफी कम हो गई है। बमुश्किल 30 खिलाड़ी प्रैक्टिस करने स्टेडियम आ रहे हैं।

जज्‍बा वाले खिलाड़ी ही स्‍टेडियम में कर रहे प्रैक्टिस

खिलाडिय़ों की संख्या कम होने की प्रमुख वजह यह है कि जब कोच नहीं है तो वह किससे प्रशिक्षण लेंगे। फिर भी जिन खिलाडिय़ों में मंडल व प्रदेश की टीम में शामिल होने का जज्बा है, वह सुबह शाम दोनों पाली में प्रैक्टिस कर रहे हैं। सुबह साढ़े पांच बजे से आठ बजे तक और अपराह्न तीन से शाम छह तक खिलाड़ी प्रैक्टिस करने में पसीना बहा रहे हैं। यह बात और है कि वह बिना द्रोणाचार्य के ही बल्ला भांज रहे हैं।

बोले, क्रीड़ाधिकारी केपी सिंह

क्रीड़ाधिकारी केपी सिंह कहते हैं कि अब कोच का चयन सीधे खेल निदेशालय से नहीं होगा। कोच को गेम पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद कोच का चयन होगा। फिलहाल अभी बिना कोच के खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे हैं।


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