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...ताकि धरती की कोख में समा जाए बादल की सौगात, बूंद-बूंद पानी बचाने की हो रही इस गांव में जतन

कुंडा ब्लाक के शहाबपुर गांव में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को साकार होते देखा जा सकता है। यहां के प्राइमरी स्कूल में यह सिस्टम बनाया गया है। इसमें स्कूल भवन आसपास के क्षेत्र का बरसाती पानी आकर डंप होता है और भूगर्भ भंडार में चला जाता है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 08:00 AM (IST)
...ताकि धरती की कोख में समा जाए बादल की सौगात, बूंद-बूंद पानी बचाने की हो रही इस गांव में जतन
कुंडा ब्लाक के शहाबपुर गांव में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को साकार होते देखा जा सकता है।

प्रयागराज, जेएनएन। धरती की कोख में इतना पानी रहे कि जिंदगानी चलती रहे। इसके लिए हर किसी को सोचना ही नहीं कुछ करना भी होगा। केवल मनन करने से नहीं, जतन करने से पानी बचेगा। भूगर्भ जल का भंडार भरेगा। इसे हकीकत में बदलकर औरों को प्रेरणा देने वाला गांव बन गया है प्रतापगढ़ का शहाबपुर गांव।

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शहाबपुर गांव दे रहा औरों को प्रेरणा

यहां बादल के सौगात के रूप में मिलने वाले वर्षा जल को सूरज से बचाने का प्रयास धरातल पर है। कुंडा ब्लाक के शहाबपुर गांव में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को साकार होते देखा जा सकता है। यहां के प्राइमरी स्कूल में यह सिस्टम बनाया गया है। इसमें स्कूल भवन, आसपास के क्षेत्र का बरसाती पानी आकर डंप होता है और भूगर्भ भंडार में चला जाता है। निवर्तमान प्रधान राजेश प्रभाकर सिंह ने खुद इसमें रुचि ली। दो लाख रुपये की लागत से पानी बचाने का सिस्टम स्थापित किया। इससे पानी तो बच ही रहा है, नौनिहालों को इस बारे में सीखने व जानने का अवसर भी मिल रहा है। 

हैंडपंपों के बगल सोख्ता गड्ढा

इस गांव की जल जागरूकता के कहने ही क्या हैं। यहां ग्राम पंचायत द्वारा हर हैंडपंप के बगल सोख्ता गड्ढा बनवाया गया है, ताकि वहां गिरने वाला पानी सूरज की तपन से उड़ न जाए। गड्ढे में बालू डाली गई है, जो पानी को तेजी से सोखकर भूगर्भ जल का हिस्सा बना देती है। इससे हैंडपंप पानी का साथ नहीं छोड़ते। 

जल पुरुष ने दिखाई राह 

गांव में जल, जंगल, जमीन, जानवर व जन पर ही पूरा फोकस होता है। इसमें जल की चिंता पहली है। राजेश प्रभाकर ने छात्र जीवन से ही गंगा के पानी से गंदगी निकालना शुरू कर दिया था। बाद में उनको जल पुरुष राजेंद्र सिंह राणा से प्रेरणा मिली। इससे उनका उत्साह बढ़ा। सोच को बल मिला और तब से कार्य जारी रहा। 

इनका है कहना

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाकर ग्रामीणों को बताया कि बरसात के पानी की क्या उपयोगिता हो सकती है। लोगों को बात समझ में आई कि पानी को कई तरह से बचाया जा सकता है। अब तो अन्य गांवों से लोग इसे देखने को आते हैं।

-राजेश प्रभाकर सिंह, शहाबपुर 


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