यह प्रयागराज का सिविल लाइंस रोडवेज बस अड्डा है या ई-रिक्शा स्टाप, लोगों के लिए समझना है मुश्किल
प्रयागराज का सिविल लाइंस रोडवेज बस अड्डे पर महात्मा गांधी मार्ग की ओर मुख्य द्वार पर बैरिकेडिंग की गई है। यहां तैनात कर्मचारी इसलिए तैनात रहते हैं ताकि कोई वाहन बस अड्डे में प्रवेश न करे। अन्य दो मार्ग पर कोई बैरिकेडिंग न होने से ई-रिक्शा चालकों का वर्चस्व है।
प्रयागराज, जेएनएन। सिविल लाइंस स्थित रोडवेज बस अड्डे में इन दिनों ई-रिक्शा वालों का बोलबाला है। बस आते ही ई-रिक्शा चालक बस अड्डे के अंदर बेखौफ होकर घुस आते हैं। जबकि वाहनों का आना प्रतिबंधित है। इसके लिए समय समय पर रोडवेज प्रबंधन अभियान चलाकर कार्रवाई भी करता है। लेकिन, बेलगाम ई-रिक्शा वालोंके सामने रोडवेज के अधिकारी भी बेबस हैं।
बस अड्डे के तीन में से एक मार्ग पर ही कर्मचारी तैनात रहता है
सिविल लाइंस स्थित रोडवेज बस अड्डे पर जाने के तीन मार्ग हैं। इनमें से एक महात्मा गांधी मार्ग की ओर मुख्य द्वार पर बैरिकेडिंग की गई है। यहां कर्मचारी भी तैनात रहते हैं ताकि कोई बाहरी वाहन बस अड्डे के अंदर प्रवेश न कर सके। हालांकि अन्य दो मार्ग पर कोई बैरिकेडिंग न होने से ई-रिक्शा चालकों का वर्चस्व है। सवारी के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। यात्रियों को बैठाने के चक्कर में झीना-झपटी भी होती है। इसके कारण कई बार यात्रियों से झड़प भी हो जाती है।
बाहर से आने वाले बस यात्रियों से की जाती है अभद्रता
बस स्टेशन पर बाहर से आने वाले यात्रियों की अधिक परेशानी रहती है। उनसे दुवर्यवहार भी ये ई-रिक्शा चालक करते हैं। इनकी संख्या अधिक होने के चलते यात्री विरोध करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते हैं। ऐसा ही कुछ वाराणसी से आए मोहम्मद मकसूद, गुलनाज, फतेहपुर से आए विनोद ठाकुर व गिरीश चंद्र त्रिपाठी के साथ भी हुआ। उनका कहना है कि ई-रिक्शा चालक मनमनाने ढंग से किराया लेते हैं और विरोध करने पर अभद्रता भी करते हैं।